Book Title: Jain Muni Ki Aahar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 297
________________ आहार सम्बन्धी 47 दोषों की कथाएँ ...233 लिए हाथों को अंदर डाला तो कामुक व्यक्ति की भाँति सर्प ने उसके हाथ को जकड़ लिया। 'हाय मुझे सर्प ने काट लिया' इस प्रकार चिल्लाती हुई वह भूमि पर गिर पड़ी। यक्षदत्त ने फूंकार करते हुए सर्प को देखा। उसने तत्काल सर्प का विष उतारने वाले मंत्रविदों को बुलाया। अनेक प्रकार की औषधियाँ लाई गई। आयुष्य बल शेष रहने के कारण मंत्र और औषधि के प्रभाव से वह स्वस्थ हो गई। दूसरे दिन वही धर्मरुचि साधु भिक्षार्थ वहाँ आया। यक्षदत्त ने मुनि को उपालम्भ देते हुए कहा-'तुम्हारा धर्म दया प्रधान है फिर भी क्या वह तुम्हारे लिए उचित है कि सांप को देखते हुए भी आपने कल उसकी उपेक्षा कर दी।' मुनि ने कहा- मैंने उस समय सांप को नहीं देखा था। हमारे सर्वज्ञ का यह उपदेश है कि साधु को मालापहत भिक्षा नहीं लेनी चाहिए इसलिए मैं आपके घर से वापस लौट गया था।' यक्षदत्त ने अपने मन में सोचा- ‘भगवान ने भिक्षुओं के लिए दोष रहित धर्म का उपदेश दिया है।' इस प्रकार चिन्तन करके यक्षदत्त ने अत्यन्त भक्तिपूर्वक धर्मरुचि साधु को वंदना की। वंदना करके उनसे जिनप्रणीत धर्म के बारे में पूछा। मुनि ने संक्षेप में धर्म का उपेदश दिया। उनको हेय और उपादेय का ज्ञान हो गया। मध्याह्न में गुरु के पास जाकर दम्पति ने धर्म का श्रवण किया। वैराग्य होने से उन्होंने वहीं दीक्षा ग्रहण कर ली। 9. आच्छेद्य दोष : गोपालक दृष्टांत __बसन्तपुर नामक नगर में जिनदास नामक श्रावक था। उसकी पत्नी का नाम रुक्मिणी था। जिनदास के घर में वत्सराज नामक ग्वाला रहता था जो आठवें दिन सभी गाय एवं भैंसों का दूध अपने घर ले जाता था जिससे घी बनाता था। एक दिन एक साधु भिक्षार्थ वहाँ आया। उस दिन ग्वाले की पूरा दुध लेने की बारी थी। उसने सभी गाय और भैंसों का अच्छी तरह दोहन किया। जिनदास प्रवचन के प्रति अत्यन्त अनुरक्त था। साधु को आते हुए देखकर उसने भक्तिपूर्वक भोजन-पानी आदि दिया। ‘भोजन के अंत में दूध लेना चाहिए' यह सोचकर भक्तिवश सेठ ने ग्वाले से दूध छीनकर थोड़ा दूध साधु को दे दिया। ग्वाले के मन में साधु के प्रति थोड़ा द्वेष आ गया लेकिन मालिक के भय से वह कुछ नहीं बोल सका। वह दूध के पात्र को घर लेकर गया। न्यून दुग्ध पात्र को देखकर उसकी पत्नी ने रोष पूर्वक पूछा- 'यह दुग्ध

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