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३७२ जैनहितैषी।
[भाग १५ अतएव ऐसी हालतमें जब कि महा- उतना ही अधिकार होना चाहिए जितना सभा समाजके लिये कोई लाभदायक सभा अनुमोदकको। सिद्ध नहीं हुई,दो ही सूरतें हो सकती हैं। २-विषय निर्धारिणी सभाके सभाप्रथम उसकाबायकाट कर दिया जाय और 'सद चुने जायँ नकि नामजद किये जायें। एक दूसरी महासभा या किसी दूसरे अतएव मैं घोषणा कर देना चाहता नामसे कोई सभा स्थापित की जाय जो हूँ कि यदि महालभाने इस साल लखसमाजके लिये लाभदायक सिद्ध हो। नऊमें या आगामी कभी भी अपनी पुरानी किन्तु इस सूरतमें थोकबन्दी होगी और चाल, जो जाति और स्वयं महासभाके एक दूसरेको एक दूसरेकी बुराईसे ही लिये हानिकर सिद्ध हुई है, न छोड़ी और • अवकाश न मिलेगा, और रुपया भी खर्च समाजके रुपये और उसकी इज्जतको होगा। एक समाचार पत्र निकालना ठुकरानेका उद्योग किया तो मैं अपनी पड़ेगा। इस तरहपर समाजको लाभ पहुँ. शक्तिभर समाजको तैयार करूँगा कि चानेकी जगह उसके सिरपर एक नई वह सत्याग्रह करे और कार्यकर्ताओको बला उपस्थित हो जावगी। दूसरी सूरत अपने बेहूदा उद्देश्यमें सफल न होने दे। . यह है कि महासभाको ही उसकी अनु
सत्याग्रहकी सूरत । चित कार्यवाहीसे रोका जाय और उसके
इस सत्याग्रहकी ये सूरतें होंगीःलिये सत्याग्रहकी नीति ही सर्वथा भय
-यदि सभापतिका चुनाव समाजतथा हानिले रहित और पूर्ण सफलताका ।
की कसरत रायके विपरीत किया गया, कारण सिद्ध हो सकती है।
जैसा कि काग़ज़ात देखनेसे जान पड़ेगा, - प्रत्येक सभाको समाजके सन्मुख तो सभापति चाहे जितने प्रतिष्ठित और विासपात्र बनने के लिये निम्नलिखित मान्य क्यों न हो, सत्याग्रहियोंमेंसे एक बातोंका भ्यान रखना आवश्यक है- केवल इस बिना (आधार ). पर उनका
१-सभापति वही चुना जाय जिसे विरोध करेगा कि यह महोदय जातिसे समाजने अपनी कसरत रायसे चुना हो। चुने हुए नहीं हैं और सर्व सत्याग्रही ___ (क) प्रस्तावोंकी एक सूची बनाकर इसका अनुमोदन करेंगे। समाचार पत्रों में प्रकाशित करा दी जाय २-यदि प्रस्तावोंकी सूची समाचारऔर उसपर नोट दे दिया जाय कि अमुक पत्रों द्वारा या कमसे कम जैनगज़ट द्वारा २ प्रस्ताव पेश किये जायँगे और पेश न प्रकाशित न की गई या विरोधीको बोलने किये जानेवालों पर अस्वीकृतिके कारण न दिया गया तो सत्याग्रहियों में से एक का नोट दे दिया जाय।
प्रत्येक प्रस्तावका विरोध इस आधार (ख) प्रस्तावको पढ़ने (यदि प्रस्तावक पर करेगा कि यह बिल्कुल असम्भव है ने किसी अन्यको अधिकार न दिया हो), कि ऐसे महत्त्वके विषय पर बिना रचित वापिस लेने या न लेने, कोई तरमीम विचारके कोई सम्मति तुरन्त दी जा सके अपनी मोरसे करने या न करनेका अधि. और सर्व सत्याग्रही इसकी अनुमोदना कार प्रस्तावकको होना चाहिए ।
'(ग) विरोधीको विषय निर्धारिणी ३-यदि विषय निर्धारिणी सभाके सभा और जनरल सभामें बोलनेका सभासद नामजद किये गये तो सर्व
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