Book Title: Jain Hiteshi 1921 Ank 10
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 29
________________ - - अङ्क १२ ] सामाजिक संवाद । लड़कियोंको भी सुयोग्य वरोकी प्राप्ति धर्म, भाषा आदि सब एक हैं । फिर नहीं होती है। कापडियाके सहोदर भाई. समझमें नहीं आता कि इन दोनों जातिसेठ जीवनलालजी नये खयालोके और योंको पारस्परिक सम्बन्ध करने में क्यों साहसी मादमी हैं। आपको यह पसन्द आपत्ति होनी चाहिए । जहाँ तक सुना नहीं कि जिस तिसके गले अपनी बहिन गया है, हूमड़ भाइयोंको यह बात तो बेटियोंको बाँध देना; और इस कारण पसन्द है कि हमारी जातिमें दूसरी जातिकोई ८-१० वर्ष हुए अपने अपनी एक योंकी कन्यायें आ जायँ और यही कारण कन्याका विवाह, अपनी जातिमें सुयोग्य है जो सेठीजीकी कन्याको उन्होंने बिना घरके प्राप्त न होनेके कारण, मेवाड़ा जा. किसी बाधा विरोधके स्वीकार कर तिके स्वर्गीय शाह लल्लू भाई प्रेमानन्द लिया। मेवाड़ा भाइयोंकी भी शायद यही एल० सी०ई० के साथ-जो अनेक वर्षों नीति है । परन्तु यह नीति अधिक समय तक बम्बई प्रान्तिक सभाके महामंत्री रहे तक नहीं टिक सकती। हमारी समझमें हैं-कर दिया था ! मेवाड़ा जाति भी दोनों ही जातियोंको इस प्रश्नपर अब जानकीपक निगम्बर जैन जाति कुछ और अधिक उदार होकर विचार इस जातिके पंचोंने अपनी जातिमें कन्या- करना चाहिए। ओंकी कमी देखकर दूसरी जातिकी कन्याये २-विजातीय विवाहका प्रस्ताव । लानेकी छुट्टी दे रक्खी है और इसके फल बरार मध्य प्रान्तिक जैन सभाके मराठी स्वरूप सुनते हैं कि अब तक मेवाड़ा मुखपत्र राजहंसके तीसरे अंकके एक आतिमें लगभग १५० कन्याएँ दूसरी लेखसे मालूम हुआ कि गत जून महीने में आतियोंको ब्याही जा चुकी हैं । ऐसी अंजनगाँवमें बघेरवाल जातिकी एक सभा दशामें उक्त ब्याहका विरोध मेवाड़ाई थी और उसमें यह निश्चय हुआ था भाइयोंकी ओरसे तो होने ही क्यों लगा कि "दिगम्बर जैन सम्प्रदायकी जिन हमड़ भाइयोंने भी इसकी कोई खास जातियों में पुनर्विवाहकी प्रथा नहीं है, चर्चा नहीं की थी। सेठीजीकी लड़कीके उन जातियोंके लड़के अथवा लड़कियोंके ब्याहके समान यह विवाह भी उन्हें विशेष साथ यदि बघेरवाल लोग विवाह सम्ब. आवश्यक नहीं जान पड़ा था। बल्कि ध करेंगे तो जातिकी ओरसे कोई बाधा बहुतसे लोगोंने तो इस साहसके लिए उपस्थित न की जायगी। इस प्रस्तावकी सेठ जीवनलालकी पीठ तक ठोंकी थी। चर्चा भातकोलीके मेले के समय की जावे।" अब खबर आई है कि उन्होंने अपनी दूसरी इस प्रस्तावको उठानेवालोंमें श्रीयुत युवती लड़कीका व्याह भी एक मेवाड़ा में वाड़ा जयकुमार देवीदास चवरे वकील तथा जातिक वरकसाथ कर दिया ह ार इस सेठ नाथसा पासूसा प्रादि गण्यमान्य विवाहमें जीवनलालजीके कुटुम्बी तथा व्यक्ति थे । इसके बाद कारंजामें इल दूसरे गएबमान्य सजन भी शामिल हुए विषय पर चर्चा हुई और वहाँ भी यह थे। विवाह खूब ठाठके साथ हुआ। प्रस्ताव पास हो गया। दस बारह वर्ष हूमड़ और मेवाड़ा ये दोनों जातियाँ पहले बरार और मध्य प्रान्तकी दिगम्बर बहुत करीब करीबकी रहनेवाली हैं। जैन जातियों में परस्पर रोटी बवहार भी दोनोंके रीति-रिवाज, पहराव ओढ़ाव, नहीं था। पीछे इस विषयकी चर्चा हुई Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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