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जैनहितैषी।
[भाग १५ न्यायसे, अशांतिको शांतिसे और द्वेषको किसी न किसी तौरपर (सेवामें रहकर प्रेमसे जीतना चाहिए, तभी स्वराज्य. या दूसरे तरीकोंसे) मदद दे रहा है तो, रसायन सिद्ध हो सकेगा। हमारा यह हमें उसको एक प्रकारसे पतित अथवा स्वतंत्रताका युद्ध एक धार्मिक युद्ध है अनभिज्ञ समझना चाहिए-मार्ग भूला और वह किसी खास व्यक्ति अथवा जाति- हुश्रा मानना चाहिए और उसके उद्धार के साथ नहीं बल्कि उस शासन-पद्धति- के लिये, उसे यथार्थ वस्तुस्थितिका ज्ञान के साथ है जिसे हम अपने लिये घातक कराने और ठीक मार्गपर लानेके वास्ते और अपमान-मूलक समझते हैं। हम इस हर एक जायज़ (समुचित) तरीकेसे शासन-पद्धतिको उलट देना अथवा उस- समझानेका यत्न करना चाहिए। और में उचित सुधार करना ज़रूर चाहते हैं, जबतक वह न समझे तब तक अपने भावों परंतु ऐसा करने में किसी जाति अथवा और आचरणों में त्रुटि समझकर-अपने शासन विभागके किसी व्यक्तिसे घृणा शानको उस काम के लिये अपर्याप्त मान (नफरत) करना या उसके साथ द्वेष कर-आत्मशुद्धि और स्वज्ञान-वृद्धि प्रादिरखना हमारा काम नहीं है। हमें के द्वारा अपनी त्रुटियोंको दूर करते हुए बुरे कामोसे ज़रूर नफ़रत होनी चाहिए बराबर उसको प्रेम के साथ समझाने परंतु बुरे कामोंके करनेवालोसे नहीं। और उसपर अपना असर डालनेकी उन्हें तो प्रेमपूर्वक हमें सन्मार्गपर कोशिश करते रहना चाहिए। एक दिन लाना है। नफ़रत करनेसे वह बात नहीं आवेगा जब वह ज़रूर समझ जायगा बन सकेगी।
और सन्मार्गको ग्रहण करेगा। चुनांचे . यदि हम किसी व्यक्तिको प्रेमके साथ ऐसा बर
ऐसा बराबर देखने में आ रहा है। जो समझा बुझाकर सन्मार्गपर नहीं ला
भाई पहले विदेशी कपड़ेको नहीं छोड़ते . सकते हैं तो समझना चाहिए कि इसमें
- थे वे आज खुशी खुशी उसका त्याग कर हमारा ही कुछ खोट है. अभी हम अयो- ६ ग्य हैं; और इसलिये हमें अपने उस खोट परंतु जो लोग अपनी बात न माननेतथा अयोग्यताको मालूम करके उसके वाले भाइयों पर कुपित होते हैं, नारादूर करनेका सबसे पहले यत्न करना ज़गी जाहिर करते हैं. उन्हें कठोर शब्द चाहिए। उसके दूर होते ही आप देखेंगे कहते हैं, धमकी देते हैं, उनके साथ बुरा कि वह कैसे सन्मार्गपर नहीं पाता है। सलूक करते हैं. उनका मजाक उड़ाते हैं, ज़रूर आवेगा। सच्चे भावों, सच्चे हृदयसे अपमान करते हैं. बायकाट करके अथवा निकले
धरना देकर उनपर अनुचित दबाव डालते असर हुए बिना नहीं रह सकता। इसी हैं, अनेक प्रकारकी जबरदस्ती और जब बातको दुसरे शब्दों में यो समझना चाहिए से काम लेते हैं, और इस तरहपर दूसरों. कि यदि हम देखते हैं कि, हमारा एक की स्वतंत्रताको हरण करके उन्हें उनकी भाई विदेशी कपड़ा पहनना और विदेशी इच्छाके विरुद्ध कोई काम करने या न कपड़ोंका व्यापार करना नहीं छोड़तो- करनेके लिये मजबूर करते हैं. वे सख्त उसपर आग्रह रखता है -अथवा सर- गलतीमें हैं और बहुत बड़ी भूल करते हैं। कारको उसके अन्याय और अत्याचारोंमें उनका यह सब व्यवहार (तर्ज़-तरीका)
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