Book Title: Jain Hiteshi 1921 Ank 10
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 19
________________ - आपका कविता चितोडा अङ्क १२ ] . वीरपुष्पांजलि पर लोकमत। .. ३७७ करनेवाली आपकी कविताएँ मुझे तो बड़ी ही पसंद. ७-श्रीयुत डाकृर चम्पतरायजी जैन, आई। मेरी रायसे तो उसकी (वीर पुष्पांजलिकी) अधिकांश डेण्टल सर्जन, चांदनी चौक देहली। कविताएँ न केवल विद्यार्थियोंके किन्तु प्रौढ़ और वृद्ध , सभीके कण्ठ करने योग्य हैं।" ___ "किताब निहायत ही उमदा (प्रत्युत्तम ) है। इससे पहले आपकी बनाई हुई पुस्तक 'मेरी भावना' भी मेरे पास - २-श्रीयत सरदार भंवरलालजी, मौजद है। मैं करीब करीब रोज ही उसका पाठ करता यदुवंशी भाटी, इंद्राश्रम-रतालम। . . रहता हूँ। मैं जिस वक्त उसका पाठ करता हूँ, मेरा तो "...पठन कर चित्त अति प्रसन्न हुआ। छपाई सफाई रोम रोम खड़ा हो जाता है, और श्री जीसे प्रार्थना है कि भी मनमोहक है। पुस्तकके १४ हो पुष्प उत्तम भाव आप एक बड़ी उम्र पाएँ ताकि हम भी अपनी जिन्दगीमें सुगंधिसे भरे हुए हैं। इनमें खासकर विधवा सम्बोधन. आपकी कुछ और कविताएँ देख सके।" अजसम्बोधन और मेरो भावना यह तीन तो हमको -श्रीयुत बाबू अजित प्रसादजी इतने अच्छे मालूम हुए कि इनकी प्रशंसामें जो कुछ वकी लिखा जाय, थोड़ा है। आपकी इस उपकारक रचनाके लिये आपको हृदयसे धन्यवाद देता हूँ।" (पुस्तकको पढ़ते समय पुस्तकके प्रका३-श्रीयुत राजवैद्य शीतलप्रसाद से आपका चित्त भर आया और आप उसी शक कुमारदेवेन्द्र प्रसादजीकी स्मृति हो आनेजी, चाँदनी चौकदेहली। अवस्थामें लिखते हैं-) . ___ "पुस्तकके नाम ( वीर पुष्पांजलि ) और उसके ".."महाबीरकी वाणी' पढ़कर चित्त कुछ ठिकाने सुन्दर स्वरूपको देखकर बड़ा आनंद आया। पुस्तकके सब लगा। 'समाज सम्बोधन' और 'विधवा सम्बोधन' सच्चे । विषय बड़े चित्तग्राही और मनोरम्य हैं। आपकी कविता चित्तोद्गारसे भरे हुए वचनोंकी लड़ियाँ हैं। निस्संदेह यह बड़ी रसवती है-ऐसी ललित . और अर्थ गौरवपूर्ण - सहानुभूतिके मनसे निकले हुए वाक्य अपना असर किये कविताको पढ़कर चित्तको जो प्रसन्नता हुई, उसे प्रकाश बिना नहीं रहेंगे। आवश्यकता यह है कि यह पुष्पांजलि करनेकी मेरेमें योग्यता नहीं है। आपका गद्य तो भोजस्वी प्रत्येक जैन प्रजैन स्त्री पुरुष सबकी भेट की जाय। होता ही है-कविता उससे भी कहीं अधिक प्रशंसनीय और सब लोग मिलकर, वा एकान्तमें, इसका पाठ करें, है। इसके लिये आपको धन्यवाद देता हूँ। मनन करें और फिर देखें कि इन मंत्रोंसे कितनी सामागतम जिक और धार्मिक ऋद्धियाँ सिद्ध होती है ।.."इसकी पूर्व संपादक: कालिन्दी पत्रिका, राम सूरत और सीरत, रूप और गुणकी प्रशंसा जितनी करें, नगर, बनारस स्टेट। थोड़ी है।......, ___ "इस छोटीसी पुस्तिकामें अलौकिक प्रतिभाका प्रकाश -श्रीयुत बाबू चेदनदासजी बी०ए०, है। निस्सन्देह पुष्पाञ्जलिसे शान्ति मिलती है। आपकी हेडमास्टर, मथुरा। श्रीकविताने 'श्रीवीर पुष्पाञ्जलि' के द्वारा अपना जन्म "पापकी कविताएँ पहुँची। वे बहुत ही अच्छी हैं। सार्थक किया । इस परिश्रम के लिये धन्यवाद है।" अन्तको (मेरी भावना) अत्यन्त लाभदायक है। यदि ऐसी ही कवितामें छहटाला और दोचार बीनती दर्शन लिख ५-श्रीयुत साहु जुगमन्दर दासजी दिये जायँ तो बड़ा उपकार हो।" जैन र्रास व आनरेरी मजिस्ट्रेट, द्र, १०-श्रीयुत ला० दलीपसिंहजी नजीबाबाद । कागजी, देहली। "पुस्तक बहुत अच्छी है और सुन्दर छपी है।" - "वीर पुष्पांजलिमें आपकी कविताएँ पढ़कर बहुत ही ६-श्रीयुत मुनि पुण्य विजयजी, आनंद हुआ । वकै ( वास्तव) में आपकी कविता भावः । भावनगर। पूर्ण और ओजस्विनी होती है। मैं आपको हृदयसे धन्य"आपकी भेजी दिव्य कवितामय उपहार पुस्तिका मिली । कुछ पढ़ी है, अवशिष्ट पढूंगा। पढ़कर जो आनंद ११-श्रीयुत महेन्द्रजी, सम्पादक मिला है उसके लिये आपका कृतज्ञ हूँ।" गरा। बड़ी रसवती है Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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