Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 01 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 2
________________ stostosteroidacodai S aptomsteoasleedia -बूढोंको रुलानेवाला, बच्चोंको हँसानेवाला और जवानोंको रोमांचित करनेवाला बूढका ब्याह। पाँच सुन्दर चित्रोंसे और नयनाभिराम मुखपृष्ठ से सुसज्जित । हिन्दीमें बिलकुल नये ढंगका काव्य छपकर तैयार है। तीन चार वर्ष पहले यह काव्य जैनहितैषीमें प्र. काशित हुआ था । अब बहुत घटा बढ़ाकर संशोधित परिवदित करके छपाया गया है। इसमें एक बालिकाके साथ एक साठ वर्षके बूढ़ेके ब्याहका चित्र खींचा गया है। जिसे पढ़कर आप हँसेंगे, घणा करेंगे और ऑसू बहावेंगे। एक बार हाथ में लेकर फिर छोडनेको जी नहीं चाहता। भाषा बहुत ही सरल है। हिन्दीके नामी चित्रकार श्रीयुत पं० गणेशरामजी मिश्रके बनाये हुए कई दर्शनीय चित्र लगाये गये। इ हैं। इस काममें खूब खर्च किया गया है। वृद्धविवा: हके रोकने में इस पुस्तकसे बहुत लाभ होगा। एक प्रति जरूर मँगाइए। मल्य छह आने । मैनेजर, जैनग्रन्थरत्नाकर कार्यालय, हीराबाग, गिरगाँव, बम्बई ।। Felmrpronpronogpresrorappeaparagraagarmagaramparappssponenes Sectualsecskaniacterdestoftanslitastersteinivery SeroURJROOGoltech Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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