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जैन-गौरव-स्मृतियां ★ S
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"धर्मों के इतिहास का नवीन अध्याय प्रारम्भ होता है। वे तत्कालीन धर्मों का काया. कल्प करने वाले और उन्हें नव जीवन प्रदान करने वाले युग निर्माता महापुरुष हुए । विश्व में अहिंसा धर्म की प्रतिष्टा का सर्वाधिक श्रेयं इन्हीं महामानव महावीर को है । मानव जाति के इस महान् शिक्षक की उदात्त शिक्षाओं के अनुसरण में ही सच्चा सुख और शाश्वत शान्ति सन्निहित है। इस सत्य को यह विश्व जितना जल्दी समझ सकेगा उतना ही उसका कल्याण हो सकेगा और वह सच्चा शांति निकेतन बन सकेगा । डा. वाल्टर शूविंग ने नितान्त सत्य ही कहा "संसार सागर में डूबते हुए मानवोंने अपने उद्धार के लिए पुकारा इसका उत्तर श्री महावीर ने जीव के उद्धार का मार्ग बता कर दिया । दुनिया में ऐक्य और शांति चाहने वालों का ध्यान महावीर की. उद्दात्त शिक्षा की ओर आकृष्ट हुए बिना नहीं रह सकता।" सचमुच भगवान् महावीर मानव जाति के महान त्राता के रूप में अवतरित हुए। .... ..
महावीर स्वामी का जन्म विक्रम संवत् पूर्व ५४२ ( ईस्वी सन पूर्व ५६६) में हुआ । इनकी जन्मभूमि क्षत्रियकुण्डपुर है। यह स्थान वर्तमान बिहार प्रदेश के पटनानगर के उत्तर में आये हुए वैशाली ( वर्तमान बसाड़) प्रदेश का मुख्य नगर था । इनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था। इनके पिता ज्ञातवंश के प्रभावशाली राजा थे। वैसे ये क्षत्रियों के स्वाधीन तंत्र मण्डल के प्रमुख थे। इन सिद्धार्थ का विवाह वैशाली के अधिपति चेटक राजा की बहन त्रिशला के साथ हुआ। इसीसे इनके महान् प्रभावशाली होने का परिचय मिलता है । भगवान महावीर का जन्म ज्ञाकुल में हुआ इसलिए वें ज्ञातपुत्र के रूप में भी प्रसिध्द हुए। इनका गौत्र काश्यप था । माता पिता ने इनका नाम वर्धमान रक्खा था क्योंकि इनके जन्म से उनकी सम्पत्ति में वृद्धि हुई थी। किन्तु सम्पत्ति की निःसारता से प्रेरित होकर उन्होंने त्याग और तपस्या का जीवन स्वीकार किया। उनकी घोर अत्युत्कट साधना के कारण इनका नाम महावीर होगया और इसी. नाम से वे विशेष प्रसिद्ध हुए। वर्धमान नाम इतना प्रचलित नहीं है जितना इनका आत्म गुणनिष्पन्न महावोर नाम । t: ... भगवान महावीर के माता पिता भ०. पार्श्वनाथ के अनुयायी थे। अतः
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