Book Title: Jain Dharm ki Udarta Author(s): Parmeshthidas Jain Publisher: Johrimal Jain Saraf View full book textPage 4
________________ विषयानुक्रमणिका । १-पापियों का उद्धार २-उच्च और नीचों में समभाव ... ... ३-जाति भेद का आधार आचरण पर है ४-वर्ण परिवर्तन ५-गोत्र परिव ६-पतितों क. द्वार ... ७-शास्त्रीय दण्ड विधान ८-अत्याचारी दण्ड विधान 8-उदारता के उदाहरण १०-जैनधर्म में,शद्रों के अधिकार... ११-स्त्रियों के अधिकार १२-वैवाहिक उदारता १३-प्रायश्चित्तमार्ग १४-जैन शास्त्रों में विजातीय विवाह के प्रमाण १५-जाति मद १६-अजैनों को जैन दीक्षा .. १७-श्वे. जैन शास्त्रों में उदारता के प्रमाण ... १८-उपसंहार १६-उदारता पर शुभ सम्मतियां... ... ... .." - -Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 119