Book Title: Jain Dharm ki Udarta Author(s): Parmeshthidas Jain Publisher: Johrimal Jain Saraf View full book textPage 3
________________ XXEXXEXERENARIYAR जैनधर्म की उदारता (परिवर्द्धित संस्करण) लेखकपंडित परमेष्ठीदासजी जैन न्यायतीर्थ [चर्चासागर समीक्षा, दानविचार समीक्षा, परमेष्ठि पद्यावली विजातीय विवाह मीमांसा, चादत्त चरित्र, दस्साओं का पूजाधिकार श्रादिके लेखक और सम्पादक 'चोर'] -~nikers प्रकाशकला. जौहरीमल जैन सर्राफ . दरीवा कलां, देहली। द्वितीयवार सन् १९३६ ) वीर निर्माण संवत् २४६२ ।। गयादत्त प्रेस, वाग दिवार देहली में छपा । XXXXHER-MAKEIXE-MAKESPage Navigation
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