Book Title: Jain Dharm Gyan Prakashak Pustak
Author(s): Nana Dadaji Gund
Publisher: Nana Dadaji Gund
View full book text
________________
खायजेइणन्याय ६५ वनस्पतिकायत्रशकेस्थावर ॥ स्थावरतेकिणन्याय ॥हाले चालेनहीइ. गन्याय ६६ बेइंद्रियसंज्ञिकेअसंजि ॥ असं जितेकिणन्याय ॥ मननही इणन्याय ६७ बेइं द्रियसूक्ष्मकेवादर ॥ बादर तेकि न्याय ॥ देखायइणन्याय ६८ बेइंद्रियत्रशकेस्थावर ॥ ऋश तेकिणन्याय ॥हाले चालेव्हणन्याय ६९ वेद्रियसंजिकेअसंजि ॥ असंजि तेकिणन्याय मननहीइणन्याय ॥ ७० तेरेंद्रियसूमकेबादर ॥ वादर तेकिणन्याय ॥ देखायरे हणन्याय ॥ ७१ तेरैद्रियत्रशकस्थावर ॥ त्रश तेकिणन्याय ॥हा लेवाले इणन्याय ॥ ७२ चौरद्रियसंजिकेअसंज्ञि ॥असंजितेकिणन्याय॥ मननहीइणन्या य ॥ ७३ चौद्रियसूक्ष्मकेवादर॥ बादर तेकिण न्याय ॥ देखायइणन्याय ॥ ७३ चौरद्रियत्र. शकेस्थावर ॥त्रशतेकिलन्याय ॥ हालेचाले इणन्याय ॥ ७५ गाय नेशादीकसंजिकेअसं जि॥संज्ञि तेकिणन्याय॥ मनरेइणन्याय ॥ ७६ गाय नेशसुक्ष्मकेबादर ॥ बादर तेकिणन्याय ॥ देखायइणन्याय ॥ ७७ गायनेंशत्रशकेस्थावर

Page Navigation
1 ... 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211