Book Title: Jain Darshansara
Author(s): Narendra Jain, Nilam Jain
Publisher: Digambar Jain Mandir Samiti

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Page 10
________________ 108 आचार्य श्री धर्मभूषण जी महाराज के संघ की आचार संहिता 1. संघ के साथ कोई आर्यिका, क्षुल्लिका व ब्रह्मचारिणी नहीं रहेगी। 2. संघ के त्यागीगण आहार व विहार के समय किसी भी प्रकार के बाज साज नहीं बजने देंगे। 3. कोई भी त्यागी अपनी जन्म-तिथि व दीक्षा-तिथि नहीं मनवायेंगे। 4. संघ के आहार के पश्चात् किसी प्रकार का प्रसाद नहीं बटेगा। 5. किसी भी संस्था या मन्दिर निर्माण के लिए, संघ का कोई भी त्यागी चंदा एकत्रित नहीं करेगा। 6. आचार्य पुष्पदन्त, भूतबली एवं कुन्दकुन्द -आम्नाय के किसी भी ग्रन्थ का (चाहे वह कहीं से भी प्रकाशित हो) निषेध नहीं किया जायेगा और न ही जिनवाणी माँ का अपमान होने देंगे। अग्नि में धूप डालना, दीपक से आरती उतारना, निर्वाण दिवस के दिन किसी भी प्रकार का मीठा लड्डू चढ़वाना, सामग्री में हार-सिंगार के फूल का प्रयोग, पंचामृत एवं स्त्री द्वारा अभिषेक, भगवान को चंदन लगाना व हरे फूल एवं फल चढ़ाना, इन बातों का इस संघ में कोई समर्थन नहीं होगा। 8. कोई भी संघस्थ त्यागी वीतराग भगवान के सिवाय पद्मावती, क्षेत्रपाल व अन्य किसी भी देवी-देवताओं का किसी भी प्रकार से प्रचार-प्रसार नहीं करेगा। 9. आहारचर्या के समय किसी भी संघस्थ त्यागी का हरे सचित्त फलों से पड़गाहन नहीं होगा। 10. किसी भी संघस्थ त्यागी की दीपक आदि द्वारा आरती नहीं होगी। 11. पिच्छीधारी किसी भी त्यागी को वाहन का उपयोग करने की आज्ञा नहीं होगी। 12. संघस्थ कोई भी साधु अपने पास पिच्छी, कमण्डल व शास्त्र के अलावा अन्य किसी प्रकार का परिग्रह नहीं रखेगा। 13. रात्रि में तेल-मालिश का निषेध होगा। 14. संघ में पंखा, कूलर व हीटर, टेलीफोन, मरकरी, लाईट, एयर कंडीशन और मच्छरदानी एवं इसी प्रकार के अन्य साधनों का कोई भी त्यागी उपयोग नहीं करेगा। 15. आचार्य श्री की आज्ञा के बिना संघ में कोई कार्य नहीं होगा। 16. त्यागियों द्वारा महिलाओं से चरणस्पर्श कराना वर्जित है। सूर्यास्त के पश्चात् महिलाओं का मुनियों के पास आना वर्जित है। 17. संघ के साधुओं द्वारा नकली दाँत लगाकर आहार लेना व दातार द्वारा नकली दांत लगाकर देना दोनों वर्जित हैं। 18. संघ के कोई भी त्यागी हल्दी, टमाटर, पपीता, भिण्डी, तरबूज, पत्ती वाली वनस्पति, आडू, लीची व टाटरी आदि का उपयोग नहीं करेंगे व गैस व कुकर का बना भोजन नहीं लेंगे।। 19. संघ का कोई भी त्यागी ऐसे मंच पर नहीं जायेगा जहां हरे फूलों का उपयोग किया गया हो। 20. संघस्थ साधुओं (मुनियों, ऐल्लक, क्षुल्लक) के केशलुञ्च का कोई समारोह नहीं होगा एवं इसकी कोई पत्रिका भी नहीं छपेगी। 21. संघ का पिच्छीधारी कोई भी साधु रथयात्रा के साथ नहीं चलेगा व संघ में जिनेन्द्र भगवान की प्रतिमा साथ नहीं रहेगी। 22. कोई भी साधु व्यक्तिगत कुटिया या मठ बनाकर नहीं रहेगा एवं सामाजिक स्थान उपलब्ध होते हुए किसी श्रावक के निवास स्थान पर नहीं ठहरेंगे। 23. संघ में कोई भी शिथिलता (जैसे-समय पर सामायिक, प्रतिक्रमण, भक्ति व स्वाध्याय न करना किसी भी प्रकार की विकथा करना) सहन नहीं होगी। अगर कोई त्यागी नियम के विपरीत क्रिया करेगा तो उसे पद छोड़कर जाना होगा। 24. समाज के पक्ष विपक्ष आदि में नहीं उलझना, स्वयं आत्मकल्याण में लगे रहना तथा समाज के लोगों को भी आत्मकल्याण के लिए प्रेरित करना। viii

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