Book Title: Jain Darshan aur Adhunik Vigyan
Author(s): Nagrajmuni
Publisher: Atmaram and Sons

View full book text
Previous | Next

Page 72
________________ ६३ से भी दो हजार गुना सघन हैं । ऐसे ग्रह पिण्डों की सघनता का वर्णन एक सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक इन शब्दों में करते हैं- "इन आकाशीय पिण्डों में से कुछ एक में पदार्थ इतनी सघनता से भरा है कि एक क्यूबिक इञ्च टुकड़े में २७ मन वजन होता है । सबसे छोटा तारा जो हाल ही में खोजा गया है, उसके एक क्यूबिक इञ्च में १६७४० मन वजन होता है । क्या कभी कोई कल्पना भी कर सकता है कि एक क्यूबिक इंच टुकड़े को उठाने में बड़े से बड़े क्रेन भी असफल रह जायेंगे ? क्या कोई कल्पना कर सकता है कि एक छोटा-सा ढेला ऊपर से गिर कर बड़े-से-बड़े भवन को भी तोड़ सकता है ? ܝܙ परमाणुवाद कहा जाता है कि ज्येष्ठा तारा इतना भारी है कि अंगूठी के एक नग जितने टुकड़े में आठ मन वजन होता है । जैन दर्शन के अनुसार छोटे-से-छोटे एक बालुकरण में अनन्त परमाणुत्रों का समवाय है । वह एक स्कन्ध कहलाता है । छोटे-से-छोटा स्कन्ध द्विप्रदेशात्मक अर्थात् दो परमाणुत्रों का भी हो सकता है । नेत्र दृश्य जितने भी लघु व वृहद् पदार्थ हैं, वे सब अनन्त प्रदेशात्मक ही हैं । स्कन्ध के भेद से भी स्कन्ध बनते जायेंगे । एक परमाणु तो कभी किसी परमाणु से अलग किया ही नहीं जा सकता । तात्पर्य यह हुआ, किसी भी एक स्कन्ध को यदि हम तोड़ते जायें तो वह एक स्कन्ध असंख्य स्कन्धों में बँट जायेगा | विज्ञान के क्षेत्र में भी ऐसी चर्चाओं का बाहुल्य है । प्रोफेसर अन्ड्र ेड (Andrade) ने अनुमान बाँधा है— 'एक प्रौंस पानी में इतने स्कन्ध हैं कि संसार के समस्त स्त्री, पुरुष और बच्चे इन्हें गिनने लगें प्रार प्रति सैकिण्ड ५ की रफ्तार से दिन और रात गिनते ही चले जायें तो उनका वह कार्य चालीस लाख वर्षों में पूरा होगा ।" जैन दर्शन के अनुसार हवा भी एक रूपी पदार्थ है । एक रोम कूप में समा 1. In some of these bodies (small stars) the matter has become so densely packed that a cubic inch weighs a ton. The smallest known star discovered recently is so dense that a cubic inch of its material weighs 620 tons. Ruby Fa Bois F. R. A. -"Arm Chair Science." London, July, 1937. 2. If every man, woman and child in the world were turned to counting them and counted fast, say five a second, day and night it would take about 4 million ( 4,000,000) years to complete the Job. --The Mechanism of Nature by E. N. Dsc. Andrade, D. Sc. Ph. D., p 37. Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154