Book Title: Jain Darshan aur Adhunik Vigyan
Author(s): Nagrajmuni
Publisher: Atmaram and Sons

View full book text
Previous | Next

Page 145
________________ १३६ जैन दर्शन और आधुनिक विज्ञान जो अत्यन्त हल्का और कठिन हो ताकि वह अत्यधिकता से और शीघ्रता से घूम सके। लेकिन मिकल्सन के प्रयोग और अपेक्षावाद के सिद्धान्त द्वारा यह पता चला कि ईथर अन्य पार्थिव द्रव्यों से पृथक् है। ईथर की आवश्यकता बिजली और आकर्षण में भी रहती है।" ईथर सम्बन्धी प्रयोग प्रश्न उठता है कि ईथर के सम्बन्ध में भिन्न-भिन्न धारणायें क्यों उठीं और ये भिन्न-भिन्न निर्णय क्यों दिये गये ? इन निर्णयों के पीछे केवल कल्पना ही है या कोई प्रायोगिक आधार भी ? ईथर की स्थिति को समझने के लिए समय-समय पर विविध सम्भव प्रयोग होते रहे हैं। उन सब में माईकलसन मोर्ले का प्रयोग सुप्रसिद्ध है जो आज से लगभग ६५ वर्ष पूर्व अओइयो (Ohio) की क्लैवैषेन्ड यनिवर्सिटी की प्रयोगशाला में किया गया था। प्रयोग का आधार था यदि आकाशीय पिण्ड ईथर के अनन्त समद्र में सचमुच ही तैर रहे हैं तो उनकी गति का वेग जानना सहज है । निम्नोक्त उदाहरण इसे स्पष्ट कर सकेगा—एक वेग वाली नदी के सम्मुख एक नौका को एक नियमित दूरी तक ले जाकर वापिस लाने में अधिक समय लगेगा अपेक्षाकृत उतनी ही दूरी एक किनारे से दूसरे किनारे तक नौका ले जाकर वापिस लाने के। अगर जल अदृश्य हो तो भी उसकी (नौका की) गति समय के अनुपात से निकाल सकते हैं। इसी तरह से यह तर्क की जा सकती है कि अगर पृथ्वी वास्तव में ईथर में घूमती है तो रोशनी की एक किरण पृथ्वी की चाल के साथ-साथ दर्पण तक पहुँच कर वापिस लौटने में ज्यादा समय लेगी अपेक्षाकत उसके कि रोशनी पृथ्वी की चाल के सम्मुख पहुँचती हो । यदि ईथर पृथ्वी की गति के लिए एक भौतिक माध्यम है तो उपरोक्त परिणाम होना जरूरी है। उक्त प्रयोग अमेरिका में एक बहुत सूक्ष्म यन्त्र द्वारा किया गया था किन्तु उससे मालूम हुआ कि प्रकाश की किरणें दोनों यात्रा में बराबर समय लेती हैं। रिचर्ड ह्य ज (Richard Hughes) के शब्दों में ईथर के सम्बन्ध में उसकी विशेषताओं को जानने के लिए पूर्णतया कोशिश करना कि ईथर एक वास्तविक द्रव्य है, उतना ही निरर्थक होगा जितना कि “गुड शेफर्ड्स कुक" (Good Shephards Crook) किस द्रव्य का बना हुअा है, मालूम करना। __ यह प्रयोग-क्रिया सन् १८८१ में की गई थी और सन् १६०५ में बृहत्तर ध्यान के साथ दुहराई गई थी। अमेरिकन एकेडेमी ऑफ आर्ट्स एण्ड साइन्सेज की कार्यवाही में उसका फल छापा गया था, जो फिर शून्य प्राया। प्रोफेसर मिलर (Miller) ने कैलीफोर्निया के माउन्ट विल्सन (Mt. Wilson) पर सन् १९२१-२५ तक कई विस्तृत ___Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154