Book Title: Harivanshkatha Author(s): Ratanchand Bharilla Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 6
________________ | हो रहे हैं, हो सकता लम्बे भविष्य के बाद जब दुनिया में प्रलय जैसी स्थिति होने पर पुन: पाषाण युग आयेगा | और फिर से भोजनादि कार्यों के लिए भी असि, मसि, कृषि आदि प्रत्येक काम का नये सिरे से प्रारंभ करना होगा। तत्कालीन व्यक्ति भी इन वर्तमान उपलब्धियों के कथनों में सहसा विश्वास नहीं कर पायेंगे। अरबों-खरबों वर्षों बाद ऐसे युग आने के उल्लेख पुराणों में तो है ही, विज्ञान भी ऐसी घोषणायें करने लगा है। तब उन्हें भी शास्त्रीय कथनों पर ही विश्वास करना पड़ेगा। अत: अपनी बुद्धि से परे अप्रयोजनभूत बातों में अनावश्यक अविश्वास और तर्क-वितर्क नहीं करना चाहिए। अन्यथा उसी पुराणों में लिखे प्रयोजनभूत तत्त्वों में श्रद्धा कैसे रख पायेंगे? और यदि प्रयोजनभूत, वीतरागता के हेतुभूत स्व-संचालित विश्वव्यवस्था आदि में शंका हो गई, अश्रद्धा हो गई तो हमारा मोक्षमार्ग ही खतरे में पड़ जायेगा। इन आशंकाओं से बचने के लिए हमारे पूर्वज आचार्यों एवं धर्मज्ञों ने हमें यह उपाय बताया है कि जब तक हम अपने दार्शनिक और आध्यात्मिक ज्ञान के मर्मज्ञ और तत्त्वज्ञान के प्रति पूर्ण निष्ठावान नहीं हो जाते, तब तक हमें अप्रयोजनभूत बातों में एवं भौगोलिक ज्ञान में नहीं उलझना चाहिए; क्योंकि कालचक्र के परिवर्तन के साथ भौगोलिक स्थितियाँ भी बदलती ही रहती हैं। जल की जगह थल और थल की जगह जल होना तो हम आये दिन देखते ही हैं। द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव - सब परिवर्तनशील हैं, अत: जब तक कोई बड़ा अनर्थ न होता हो, तबतक व्यर्थ के वितण्डा में अपनी श्रद्धा को विचलित न करें। ___ यदि आज की अयोध्या, मथुरा आदि और पुरानी अयोध्या एवं मथुरा की परस्पर तुलना करने बैठ जाओगे तो इसी में अश्रद्धा और शंकाओं को उत्पन्न करने वाले ऐसे सैंकड़ों प्रश्न खड़े हो जायेंगे, जिनका समाधान - आज किसी के पास नहीं है। अतः श्रेयस्कर यही है कि कथाओं का मूल प्रयोजन जानकर उनके चरित्रों से सन्मार्ग की प्रेरणा लेकर अध्यात्म के रहस्य को गहराई से जानें और श्रद्धा करें। हरिवंश कथा में अध्यात्म इस हरिवंश कथा ग्रन्थ में शिक्षाप्रद एवं प्रेरणाप्रद कथानक और पात्र परिचय के साथ प्रसंगानुसार पात्रों | को मोक्षमार्ग में लगाने के निमित्त से मुनिराजों और गणधर देवों द्वारा सैद्धान्तिक, तात्त्विक, आध्यात्मिक क +Page Navigation
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