________________ जिनपूजन रहस्य आदि की श्रृंखला में ‘इन भावों का फल क्या होगा' पाकर पाठकवर्ग विशेष उपकृत हुआ है। प्रस्तुत कृति आद्योपांत बारम्बार पढ़ने तथा परिचितों में वितरित करने योग्य है। आशा है प्रत्येक पाठक इसके माध्यम से इष्ट फलदायक भावों रूप परिणमित होगा। - अभयकुमार जैन शास्त्री, एम.कॉ. जैन दर्शनाचार्य, जबलपुर (म.प्र.) * प्रत्येक पृष्ठ पर कुछ न कुछ मिल ही जाता है आपकी जितनी भी रचनायें हैं, मैंने सभी रुचि से पढ़ी हैं। किन्तु यह नवीन रचना 'इन भावों का फल क्या होगा' पढ़ कर तो चित्त वचनातीत प्रसन्न हो गया। खोजने पर प्रत्येक पृष्ठ पर कुछ न कुछ माल मिल ही जाता है।