Book Title: Harivanshkatha
Author(s): Ratanchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 296
________________ • प्रत्येक कृति घर-घर में ध्यानपूर्वक पढ़ी जाती है पण्डित रतनचन्दजी भारिल्ल बहुत सुन्दर लिख रहे हैं। उनकी प्रत्येक कृति घर-घर में खूब ध्यानपूर्वक | पढ़ी जाती है। पूजन विषयक जिनपूजन रहस्य, समाधि विषयक विदाई की बेला, सदाचार प्रेरक संस्कार एवं सामान्य श्रावकाचार और णमोकार महामंत्र आदि सभी कृतियाँ बेजोड़ हैं। आप लोगों की उन्नति देखकर हार्दिक प्रसन्नता होती है। - पण्डित हीरालाल जैन 'कौशल' • एक-एक अक्षर में रस की गंगा बहती है मैंने आपके द्वारा लिखित विदाई की बेला, सुखी जीवन, संस्कार और इन भावों का फल क्या होगा आदि किताबों का ज्ञान प्राप्त किया है। वह मुझे बहुत ही अच्छी लगीं, मेरे मित्रों ने भी इन पुस्तकों को पढ़ा और इनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि - इन पुस्तकों के एक-एक अक्षर में रस की गंगा बहती है और बहुत ज्ञानप्रद बातें प्राप्त होती हैं। यद्यपि हम जैन नहीं हैं; फिर भी आपका साहित्य अत्यन्त सरल भाषा में होने से हमें समझ में आ जाता है। मुझे और मेरे मित्रों को इन पुस्तकों को पढ़कर बहुत खुशी होती है। मेरे मित्रों ने आपसे मिलने की इच्छा व्यक्त की है। - दिनेशचन्द राजोरिया, नाहरगढ़ रोड नीपडी के थाने के पास, जयपुर • लेखन की विशिष्ट छवि माननीय पण्डित रतनचन्दजी भारिल्ल की लेखन छवि जनमानस के हृदय-पटल पर महत्त्वपूर्ण विषयों को विशिष्ट सरलमत शैली में प्रस्तुत करने के रूप में अंकित हो चुकी है।

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