Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 03 Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सोसायटी के पेइन ( संरक्षक ) वने । सन १९५६ में अन्यों को भी कार्य संचालन का अनुभव हो एतर्थ आप निवृत्त हुर, किन्तु अंत समय तक सोसायटी के प्रत्येक कार्य के लिये आप सलाह देते रहे और वह समाज का गौरव था कि आप जैसे कुशल एवं विचक्षण सलाहकार मिले। दानके प्रवाह को शुभ मार्गमें बहाने का आप का प्रयास अत्यंत अनुकरणीय रहा । और मद्रास के जैन समाजने वैदकीय राहत क्षेत्रमें "जैन मेडिकल रिलीफ सोसायटी" स्थापित की-जिसके तत्वावधानमें कई डीसपेंसरियां और एक प्रमूतिगृह चल रहा है। आप उसकी कार्य कारिणी के पदाधिकारी व सदस्य रहे । इतनाही नहीं आपने अपने व्यापार क्षेत्रको नहीं भूला और सैदापेट (भूदान) में शुद्ध आयुर्वेदिक औषधलय-जिनेश्वर औषधालय खोला जिसके साथ आगे जा कर अपनी पत्नी के नाम पर राममुरजबाई गेलडा प्रमूतिगृह भी खोला। एतदर्थ आपने अपने द्वितीय पुत्र स्व. नेमीचंदजी की इच्छाके अनुसार अलग टूस्ट बना दिया है। आपने अपनी जन्मभूमि कुचेरा के लिये भी कुछ करने के विचार से वहां पर भी छात्रालय शुरू १९४२ में करवाया और उसके प्रारम्भकाल से आपकी ओर से २५० मासिक सहायता उसे दी जा रही है जो अब भी चालू है। तदुपरांत ताराचंद गेलडा ट्रस्ट भी आपने कायम किया जिससे कई उदीयमान जैन समाज के विद्यार्थिओं की आशाओं को प्रोत्साहन दिया गया और दिया जा रहा है। ___ उनके अदम्य उत्साह और जोश के साथ उनके दृढ मनोबल का परिचय न दिया जावे तो उनका व्यक्तित्व अधूरा रहेगा । वे अपने आप आगे बढ़ने वाले थे । बहुत ही छोटी उम्र में उन्हों ने व्यापार किया और ताराचंद गेलडा एन्ड सन्स, टी. बी. ज्वेलरीन एवं महेन्द्र स्टोर्स आदि व्यापारिक फर्म चले । सामान्य पूंजीसे लेकर वे लाखोपति बने । सामान्य शिक्षा ज्ञान के बाद भी चार भाषा की जानकारी और प्रबल व्यापारिक ज्ञान आपकी विशेषता थी। आजीवन खादीव्रत, हाथघंटी का पीसा हुआ धान और गायका दूध-घी कठिन व्रत वे आजीवन निभाते रहे। समाज-सुधारणा भी आपने कई प्रकारसे की। For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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