Book Title: Gita Darshan Part 06
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 345
________________ 0 गीता में समस्त मार्ग हैं कि परमात्मा क्या कर रहा था, उस वक्त तुम्हें बनाया। कहीं भूल-चूक | | मौका नहीं मिला होगा। इसको स्तन में अभी भी अटकाव रह गया कर गया; क्या हो गया! वह आदमी तत्क्षण कुम्हला जाता है। वह है। इसको एक काम करना चाहिए। बच्चों के लिए जो दूध पीने की इतना कुरूप था नहीं, जितना कहते से ही हो जाता है। | बोतल आती है, वह खरीद लेनी चाहिए। उसमें दूध भरकर रात एक आदमी को मरीज कहना भी खतरनाक है। क्योंकि आप | | उसको चूसना चाहिए, दस-पंद्रह मिनट सोने के पहले। तीन महीने एक वक्तव्य दे रहे हैं, जो उसके भीतर चला जाएगा। वह मरीज न | | के भीतर इसको स्तन दिखाई पड़ने बंद हो जाएंगे। भी हो, तो भी मरीज हो जाएगा। स्तन दिखाई पड़ने का मतलब ही यह है कि बच्चे का जो रस था हम मरीज नहीं कहते, हम तो शिष्य कहते हैं। हम तो कहते हैं, | | स्तन में, वह कायम रह गया है। स्तन पूरा नहीं पीया जा सका। सीखने वाला। और बीमार भी इसीलिए बीमार है कि उसके सीखने | इसलिए आदिवासियों में जाएं, जहां बच्चे पूरी तरह अपनी मां का में कमी रह गई है। और कोई बीमारी नहीं है। उसका ज्ञान क्षीण है, | स्तन पीते हैं. वहां किसी की उत्सकता स्तन में नहीं है। अगर आप कम है; उसका अज्ञान ज्यादा है। आदिवासी स्त्री को, हाथ रखकर भी उसके स्तन पर, पूछे कि यह शिष्य सुनता, गुरु बोलता था। क्या है? तो वह कहेगी कि दूध पिलाने का थन है। आप अपने इस पश्चिम में अब गुरु सुन रहा है, जो चिकित्सक है; और शिष्य, | समाज की स्त्री के स्तन की तरफ आंख भी उठाएं, वह भी बेचैन, जो कि मरीज है, वह बोल रहा है। शिष्य बोल रहा है, गुरु सुन | आप भी बेचैन। आप भी आंख बचाते हैं, तब भी बेचैन; वह भी रहा है। स्तन को छिपा रही है और बेचैन है। और छिपाकर भी प्रकट करने ___ गुरु बोलता था और बोलते समय वह शिष्य को जांचता चला की पूरी कोशिश कर रही है, उसमें भी बेचैन है। जाता था, कहां कौन-सी बात में रस आता है! उससे आपके बाबत और सबकी नजर वहीं लगी हुई है। चाहे फिल्म देखने जाएं, खबर मिलती थी। चाहे उपन्यास पढ़ें, चाहे कविता करें, चाहे कहानी लिखें, स्तन बिलकुल जरूरी हैं! अगर कभी कोई दूसरे ग्रह की सभ्यता के लोग इस जमीन पर आए, तो वे हमें कहेंगे कि ये लोग स्तनों से बीमार एक मित्र ने मुझे सवाल पूछा है कि यह जो यहां | समाज है। क्योंकि मूर्ति बनाओ तो, चित्र बनाओ तो, स्तन पहली कीर्तन होता है, यह बहुत खतरनाक चीज है। और चीज है; स्त्री गौण है। यह तो ऐसा मालूम पड़ता है कि कीर्तन करने वाले मगर यह बच्चे का दृष्टिकोण है। असल में बच्चा जब पहली साधु, संन्यासी, संन्यासिनियां कामवासना निकाल रहे | दफा मां से संबंधित होता है और वह उसका पहला संबंध है, हैं अपनी! और उन्हीं मित्र ने आगे पूछा है कि यह उसके पहले उसका कोई संबंध किसी से नहीं है, वह उसका पहला भी मुझे पूछना है कि जब मैं लोगों को कीर्तन करते समाज में पदार्पण है, वह उसका पहला अनुभव है दूसरे का-तो देखता हूं, तो अगर स्त्रियां कीर्तन कर रही हैं, तो मेरा वह पूरी मां से संबंधित नहीं होता; सिर्फ उसके स्तन से संबंधित ध्यान उनके स्तन पर ही जाता है! होता है। पहला अनुभव स्तन का है। और पहले वह स्तन को ही पहचानता है; मां पीछे आती है। स्तन प्रमुख है, मां गौण है। और अगर आपको बाद की उम्र में भी स्तन प्रमुख है, स्त्री गौण लगती 21 ब कीर्तन करते समय जिसका ध्यान स्तन पर जा रहा | है, तो आप बचकाने हैं और आपकी बुद्धि परिपक्व नहीं हो पाई। 1 हो, वह यह कह रहा है कि उसे लगता है कि सब आपको फिर से स्तन नकली खरीदकर बाजार से, पीना शुरू कर संन्यासी अपनी कामवासना निकाल रहे हैं। उसे यह | देना चाहिए। उससे राहत मिलेगी। खयाल नहीं आता कि उसे जो दिखाई पड़ रहा है, वह उसके संबंध | गुरु बोलता था, शिष्य सुनता था। लेकिन शिष्य के सनने में भी में खबर है, किसी और के संबंध में खबर नहीं है। और वह खुद ही| गुरु देखता था, उसका रस कहां है। उसकी आंख कहां चमकने नीचे लिख रहा है कि मुझे उनके स्तन पर ध्यान जाता है। | लगती है और कहां फीकी हो जाती है! कहां उसकी आंख की पुतली निश्चित ही, इस व्यक्ति को मां के स्तन से दूध पीने का पूरा खुल जाती है और फैल जाती है, और कहां सिकुड़ जाती है! कहां 1319

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