Book Title: Gita Darshan Part 06
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

View full book text
Previous | Next

Page 431
________________ जो शब्द अर्जुन से कहे थे, उन पर तो बहुत धूल जम गयी है; उसे हमें रोज बुहारना पड़ता है। और जितनी पुरानी चीज हो, उतना ही श्रम करना पड़ता है, ताकि वह नयी बनी रहे। इसलिए समय का प्रवाह तो किसी को भी माफ नहीं करता, पर अगर हम हमेशा समय के करीब खींच लाएं पुराने शास्त्र को, तो शास्त्र पुनः-पुनः नया हो जाता है। उसमें फिर अर्थ जीवित हो उठते हैं, नये पत्ते लग जाते हैं, नये फूल खिलने लगते हैं। गीता मरेगी नहीं, क्योंकि हम किसी एक कृष्ण से बंधे नहीं हैं। हमारी धारणा में कृष्ण कोई व्यक्ति नहीं हैं-सतत आवर्तित होने वाली चेतना की परम घटना हैं। इसलिए कृष्ण कह पाते हैं कि जब-जब होगा अंधेरा, होगी धर्म की ग्लानि, तब-तब मैं वापस आ जाऊंगा–सम्भवामि युगे युगे। हर युग में वापस आ जाऊंगा। -ओशो

Loading...

Page Navigation
1 ... 429 430 431 432