Book Title: Gita Darshan Part 04
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 324
________________ * गीता दर्शन भाग-42 बादशाह यहां गए। बादशाह राम वहां गए, बहुत लोग वहां मिले। को और बड़ा कर जाती है। एक व्यक्ति ने पूछा कि आप अपने को बादशाह कहते हैं! क्या ___ मांगें मत! यह प्रार्थना शब्द है हमारे पास। हमने इतना मांगा है कारण? आपके पास कुछ दिखाई तो नहीं पड़ता। बादशाहत का | | प्रार्थना के साथ कि प्रार्थना का मतलब ही लगने लगा मांगना! हम कोई लक्षण नहीं है। भिखारी हैं। प्रार्थना के साथ सदा मांगते हैं, इसलिए प्रार्थना का मतलब ही राम ने कहा, कुछ दिन मेरे पास रहो, तो दिखाई पड़ेगा। क्योंकि | | मालूम पड़ने लगा, कुछ मांगना। प्रार्थना करो, इसका मतलब ही बादशाहत बहुत गहरी चीज है और बाहर से दिखाई नहीं पड़ती। होता है, मांगो। वह आदमी कुछ दिन राम के पास रहा। धीरे-धीरे उसे अनुभव ___प्रार्थना का मतलब मांगना जरा भी नहीं है। प्रार्थना का मतलब हुआ कि यह आदमी है तो कुछ अदभुत! यह आदमी कभी किसी | | है, उस तान में एक हो जाना, उस तान के साथ डोलने लगना, उस से कुछ मांगता नहीं! इस आदमी की कोई चाह नहीं दिखती! यह | तान के साथ नाचने लगना, जो कि चारों तरफ मौजूद है। प्रार्थना ऐसे जीता है, जैसे सारी दुनिया इसकी है! यह मांगे किससे? मांगे । | एक लीनता है। उपासना उसकी उपस्थिति को अनुभव करने का क्यों? यह ऐसे जीता है, जैसे सारी दुनिया इसकी है। यह सुबह | | नाम है। सूरज की तरफ ऐसे देखता है, जैसे इसकी ही आज्ञा से सूरज __ और बिना मांगे जो उसे अनुभव करने को तैयार है, कृष्ण कहते निकला है। यह फूलों की तरफ ऐसे देखता है, जैसे इसकी ही आज्ञा | हैं, वह फिर लौटता नहीं। वह फिर चक्कर के बाहर हो जाता है। से फूल खिल रहे हैं। यह लोगों की तरफ ऐसे देखता है, जैसे इसकी | वह चाक से छलांग लगाकर बाहर निकल जाता है। फिर यह चाक ही आज्ञा से वे श्वास ले रहे हैं। घूमता रहे, वह नहीं घूमता। उस आदमी ने सातवें दिन कहा कि मुझे लगता है! पहले तो मैं | कभी आपने देखा हो अगर, तोतों को पकड़ने वाले शिकारी सोचता था कि आपका दिमाग कुछ खराब है। सात दिन रहकर मुझे | जंगल में जाकर तोतों को जिस ढंग से पकड़ते हैं। तो जरूर देखना ऐसा लगता है कि अगर ज्यादा मैं आपके साथ रहा, तो कहीं मेरा चाहिए, न देखा हो तो। रस्सी बांध देते हैं एक, दोहरी रस्सियों को दिमाग खराब न हो जाए! आप बिलकुल सच में ही बादशाह ऐंठाकर, उसमें लकड़ियां बांध देते हैं। रस्सियों की ऐंठन में लकड़ियां मालूम पड़ते हैं! और है आपके पास कुछ भी नहीं! इसका राज क्या अटका देते हैं। तोता लकड़ी पर बैठता है, उसके वजन से उलटा है? व्हाट इज़ दि सीक्रेट? होकर नीचे लटक जाता है। जब बैठता है, तो लकड़ी ऊपर मालूम राम ने कहा, इसका एक ही राज है, हमने अपनी भिक्षा का पात्र पड़ती है, दोनों तरफ रस्सी से बंधी। जब बैठ जाता है, तो वजन से तोड़ दिया, हमने मांगना बंद कर दिया। और जिस दिन से हमने | नीचे लटक जाता है, लकड़ी उलटी हो जाती है। फिर घबड़ा जाता है मांगना बंद किया, यह सारी दुनिया हमारी हो गई। और मैं तुमसे | और लकड़ी को जोर से पकड़ लेता है। अब उलटा लटका है, अब कहता हूं कि भिक्षा-पात्र तोड़ने से मुझे पता चला कि ये चांद-तारे | उसको डर लगता है कि अगर मैने लकड़ी को छोड़ा तो गिरा। और मैंने ही बनाए हैं। और जिसने पहली दफा इन चांद-तारों को अंगुली | पकड़ने वाला उसको आकर पकड़ लेता है। से इशारा किया था, वह मैं ही हूं। लकड़ी उसको पकड़े नहीं होती, वही लकड़ी को पकड़े होता है। लेकिन राम ने कहा, तुझे जो मैं दिखाई पड़ रहा हूं, उसकी मैं | छोड़ दे, तो अभी उड़ जाए। लेकिन अब उसे डर लगता है कि अगर चर्चा नहीं कर रहा हूं! मुझे जो भीतर दिखाई पड़ता है, जो मुझसे | मैंने छोड़ा, तो कौन सम्हालेगा! अगर मैंने छोड़ी लकड़ी, तो उलटा भी पार है. मैं उसकी ही बात कर रहा है। उसी ने चलाए सब लटका हं, जमीन पर गिरूंगा, सिर टूट जाएगा। वह लटका रहता चांद-तारे। वही है मालिक। अब मुझे भीतर के मालिक का पता है। घंटों लटका रहता है। फंसाने वाला अगर देर से आए, तो कोई चल गया, अब मांगना किससे है! चिंता नहीं। वह जब भी आएगा, वह लटका हुआ मिलेगा। उपासना परमात्मा की इतनी सघन प्रतीति करा देती है। वासना | करीब-करीब वासना में हम ऐसे ही लटके होते हैं। और जिसे धीरे-धीरे दीन बना देती है; दीन से दीनतर बना देती है। वासना में | | हम पकड़े होते हैं, हम सोचते हैं, अगर छोड़ा तो मर जाएंगे। कौन जीने वाला सिकंदर भी दीन ही मरता है। वासना में जीने वाला बड़े | | सम्हालेगा? वह कृष्ण कहते हैं, कहते होंगे! अर्जुन से कुछ से बड़ा धनपति भी निर्धन ही मरता है। वासना आखिर में भिखारी | | नाता-रिश्ता रहा होगा। इसलिए कहा कि तेरा योग-क्षेम मैं सम्हाल 298

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