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*गीता दर्शन भाग-4*
नहीं है, लेकिन एक बात तो आपको पता चल सकती है कि जिस | और कोई निकट हो या न हो, उस एकांत निर्जन में भी उसका रुदन जगत में आप जी रहे हैं, वहां कुछ भी नहीं है। तो फिर रो तो सकते तो सुनाई ही पड़ेगा, उसके प्राण तो चिल्लाने ही लगेंगे, कि मैं हैं। जहां खोज रहे हैं, वहां कुछ भी नहीं मिल रहा है। उसका कोई कागज की नाव में बैठा हूं, अब क्या होगा? इस घटना से ही, इस पता नहीं है, माना मैंने। उसका कोई पता नहीं है, जो मिले। लेकिन विह्वलता से ही अचानक हृदय का एक नया यंत्र शुरू हो जाता है। जहां हैं, वहां कुछ भी नहीं मिल रहा है, तो छाती पीटकर रो तो - हृदय में दो यंत्र हैं। वैज्ञानिक से पूछने जाएंगे, तो वह कहेगा, सकते हैं! हृदयपूर्वक चीख तो सकते हैं! आंसू तो बह सकते हैं! | | फेफड़े के अतिरिक्त हृदय में और कुछ भी नहीं है; फुफ्फुस है।
कृष्ण ने उसे ही विह्वलता कहा है। वह विह्वलता इस बात का ही | पंपिंग सेट के सिवाय वहां कुछ भी नहीं है। वह सिर्फ श्वास को सबूत है कि जो सामने है, उसमें कुछ मिलता नहीं; और तुम, जिनमें | | फेंकने और खून को शुद्ध करने का काम करता है। एक पंपिंग की मुझे मिल सकता है, तुम दिखाई नहीं पड़ते! इस क्षण में जो पीड़ा | व्यवस्था है। वैज्ञानिक से पूछने जाएंगे, तो हृदय जैसी कोई भी चीज पैदा होती है, उसका नाम विह्वलता है। जो है, वह पाने योग्य नहीं नहीं है, फेफड़ा है; फुफ्फुस है, लेकिन शब्द हम सदा हृदय का मालम पड़ता: जो पाने योग्य है, उसका कोई पता नहीं है। तो मैं उपयोग करते हैं: हालांकि हमारे पास भी फफ्फस है अभी अभी क्या करूं? लेकिन मैं रो तो सकता हूं।
हृदय नहीं है। भक्तों ने रोने का अभूतपूर्व उपयोग किया है। भक्तों ने रोने को | - हृदय उस फेफड़े का नाम है, जो दूसरे संसार में श्वास लेना शुरू योग बना लिया है। रोने का उन्होंने वही उपयोग किया है, जो बच्चा | करता है। यह फेफड़ा तो इसी संसार में श्वास लेता है, यही मां से पैदा होकर करता है अनजान जगत में प्रवेश करने के लिए। | आक्सीजन और कार्बन डायआक्साइड के बीच चलता है। एक भक्तों ने रोकर परमात्मा में प्रवेश करने के लिए वही उपयोग किया | | और भी आक्सीजन है, एक और प्राणवायु है, एक और प्राणवान है। और जो व्यक्ति उस अनजान के लिए रुदन से भर जाता है और जीवन है, जब वह शुरू होता है, तो इसी फुफ्फुस के भीतर एक उसके प्राणों में आंसू भर जाते हैं, अचानक वह पाता है कि उसके और हृदय है, जिसमें नई श्वास और नई धड़कन शुरू हो जाती है। हृदय ने नई श्वास लेनी शुरू कर दी है। वह किसी दूसरे लोक में | वह धड़कन अमृत की धड़कन है। प्रवेश कर गया है। कोई दूसरा जगत सामने खड़ा हो गया है। द्वार तो दूसरी बात है, विह्वलता। और तीसरी बात है, समर्पण। खुल गए हैं।
पहली बात है, यह जो चारों तरफ है, यह व्यर्थ हो जाए, तो ही उन मित्र का पूछना ठीक है कि जिस भगवान को हम नहीं आंख उठेगी। आंख उठे, कुछ दिखाई न पड़े; जो था, वह छूट जाए; जानते, उसका स्मरण कैसे करें?
जो मिलने को है, वह मिले नहीं; बीच में आदमी अटक जाए, तो मत करो स्मरण! लेकिन जिसे तुम जानते हो, उससे पूरी तरह | | विह्वलता पैदा होगी; घबड़ाहट पैदा होगी; एक बेचैनी पैदा होगी। असंतुष्ट तो हो जाओ। जहां तुम खड़े हो, उस जमीन को तो व्यर्थ | कीर्कगार्ड ने कहा है, एक ट्रेंबलिंग, एक कंपन पैदा होगा। एक चिंता समझ लो। तो तुम्हारे पैर आतुर हो जाएंगे उस जमीन को खोजने | | पैदा होगी कि अब क्या होगा? जो नाव थी वह छूट गई, नई नाव पर के लिए, जहां खड़ा हुआ जा सके। जिस नाव पर तम बेठे हो. उसे | पांव नहीं पड़े, अब तो लहर पर ही खड़े हैं, अब क्या होगा? तो देख लो कि वह कागज की है। कोई फिक्र नहीं कि दूसरी नाव | । इस विह्वलता में घटना घटेगी। का हमें कोई पता नहीं है। और हमें कोई पता नहीं है कि कोई किनारा | और तीसरी बात है, समर्पण। समर्पण का अर्थ है, जब उस नए भी मिलने वाला है। हमें कोई पता ही नहीं है कि कोई और खिवैया | | हृदय की धड़कन शुरू हो जाए, तो समग्र भाव से, अत्यंत भी हो सकता है। लेकिन यह नाव, जिस पर तुम बैठे हो, कागज | श्रद्धापूर्वक, पूरे ट्रस्ट से, भरोसे से उस नए जीवन में प्रवेश कर की है या सपने की है, जरा नीचे इसकी तलाश कर लो। । | जाना। उस नए जीवन को सौंप देना अपनी बागडोर। कहना कि तू
और जिस आदमी को पता चल जाए कि मैं कागज की नाव में मुझे खींच ले। बैठा हूं, पता है वह क्या करेगा? कम से कम चीखकर रोएगा, | | दो तरह से एक आदमी नाव में जाता है। एक तो नाव होती है, चिल्लाएगा तो! पता है कि कोई सुनने वाला नहीं है, तो भी मैं जिसमें हाथ से खेना पड़ता है। एक नाव होती है, जिसमें पाल लगा कहता हूं, वह चिल्लाएगा और रोएगा। कोई किनारा हो या न हो, होता है। हवा बहती है पूरब की तरफ और पाल खोल देते हैं, तो
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