Book Title: Gita Darshan Part 04
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 391
________________ ष्ण कोई व्यक्ति की बात नहीं है। कृष्ण तो चैतन्य की एक घड़ी है, चैतन्य की एक दशा है, परम भाव है। जब भी कोई व्यक्ति परम को उपलब्ध हुआ, और उसने फिर गीता पर कुछ कहा, तब-तब गीता से पुरानी राख झड़ गई, फिर गीता नया अंगार हो गई। ऐसे हमने गीता को जीवित रखा है। समय बदलता गया, शब्दों के अर्थ बदलते गए, लेकिन गीता को हम नया जीवन देते चले गए। गीता आज भी जिंदा है। -ओशो

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