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की इच्छा करते हैं तथा दूसरा कोई दान देता हो उसको रोकने का प्रयत्न करते हैं वे जीव भोग समृद्धि रहित होते हैं और धनसार की तरह बहुत क्लेशों के पात्र बनते हैं ।
११ प्रश्न - हे करुणानिधि ! किस कर्म से जीव भोगसमृद्धिवान् होते हैं ?
उत्तर -- गौतमं ! जो जीव आसन, पट्टिका संथारिया, पादप्रौंछनक कम्बल वस्त्र, पात्र आदि चारित्रोपकरण और शुद्धमान आहार पानी तथा रूप साधु अणगार को बहिराते हैं और हीन दीन दुःखियों को अनुकंपादान सहर्ष अर्पण करते हैं तथा जैनशासन की प्रभावना बढ़ाते हैं वे जीव भोगसमृद्धिवान् होते हैं । १२ प्रश्न - हे दीनोद्धारक ! किस कर्म से
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