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करते हैं के पुरुष सर कर अग्निशर्मा भी तरह भवान्ता में लूले होते है। ___ ४१ प्रश्हे दीशांशुक्र ! किस कर्म से जीव अंगहीन होते हैं ?
उत्तर--गौतम ! जो निर्दयता से वृषभ वगैरह के ऊपर भार लादकर फिराते हैं उनके अंगों को छेदते हैं मर्मस्थानों में चाबुक लगाते हैं वे पुरुष मर कर भवान्तर में कार्मणकी तरह लगड़े (पांगुले होते हैं। __४२ प्रश्न-हे तीर्थपति ! किस कर्म से
जीव स्वरूपवान होते हैं ? __उत्तर-गौतम ! जो सरल स्वभाव वाले होते हैं, जिनका मन धर्म में लगा रहता है, जो जीवों की रक्षा और देव गुरु संघ आदि
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