Book Title: Gautam Pruchha
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Sarupchand Hukmaji Seth

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २४ ) की भक्ति करते हैं, वे पुरुष भवान्तर में स्व रूपवान होते हैं । ४३ प्रश्न - हे जिनेन्द्र ! किस कर्म से जीद रूप विहीन होते हैं ? उत्तर -- गौतम ! जो कुटिल स्वभाव के होते हैं. जिनको पाप कार्य अच्छे लगते हैं, जो जी हिंसा करने में तत्पर रहते हैं और देव गुरु धर्म के ऊपर द्वेष रखते हैं, वे पुरुषं मर कर कुरूपवान् (रूपरहित) होते हैं । ४४ प्रश्न - हे दिलरंजन ! किस कर्म से जीवों को बहुवेदना होती है ? उत्तर - गौतम ! जो प्राणियों को लकड़ी रस्सी, तलवार, भाला आदि शस्त्रा से पीड़ा देते हैं. यंत्र में जोड़ते हैं. वे पुरुष बहुत वेदनां For Private and Personal Use Only

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