Book Title: Gautam Pruchha
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Sarupchand Hukmaji Seth

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वे जीव एकेन्द्रियों में उत्पन्न हो कर बहुत काल पर्यन्त संसार में परिभ्रमण करते हैं। । ४७ प्रश्न-हे मौनीन्द्राशरोमणे ! किस कर्म से जीव दीर्घसंसारी होते हैं ? उत्तर--गौतम ! जो जीव अजीव, पुण्य, पाप, धर्ष, अधर्म; स्वर्ग; नरक मोच और ईश्वर को नहीं मानते हैं; और उन्मत्त हो अकृत्य किया करते हैं, वे पुरुष नास्तिक होने से दीर्घ संसारी होकर अनेक जन्म मरण संबन्धि दुःख देखते हैं। ४८ प्रश्न हे अनन्तज्ञानधर ! किस कर्म से जीव अल्पसंसारी होते हैं ? उत्तर-गौतम ! जो जीव अजीवादि प. दार्थों को और धर्म अधर्मके शुभाशुभ फलको For Private and Personal Use Only

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