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मानते हैं और अकृत्यों को छोड़कर सदाचार में प्रवृत्त होते हैं वे पुरुा अत्मसारी होते हैं
और जल्दी परमपद को पाते हैं। ___४६ प्रश्न-हे परमसौख्यदायक ! किस कर्म से जीव संसार को पार होकर सिद्धपुर (मोक्ष) को जाते हैं ?
उत्तर-गौतम ! जो निर्मल ज्ञान दर्शन और चरित्र को धारन कर निरतिचार चरित्र पालन करते हैं और उत्तरोत्तर चरित्र की खप करते हैं वे जीव 'अभयकुंवर' की तरह संसारसागर को तिर कर सिद्धपुर को जाते हैं और जम्म मरण आदि दुःखों से रहित हो परमानन्द सुख विलासी होते हैं।
अन्तिम कथन जं गोयमेण पुन्छ, त कहियं जिणवरेण वीरेण सव्वेहिं भावेहि सया, धम्माधम्मफलं पय॥
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