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( २० )
उत्तर--गौतम ! जो विनय रहित, चारित्र और नियम हीन होते हैं, दान गुणा से रहित है, मन से आतभ्यान किया करते हैं, बचन से खोटे बचन बोलते हैं, काया से सावध [हिंसा के ] काम करते हैं, वे पुरुष भर कर 'निष्पुण्यक' की तरह दरिद्र होते हैं।
३५ प्रश्न--हे ब्यपगतकषाय ! किस कर्म से जीव इश्वर होते हैं ? __ उत्तर-गौतम ! जो दानी, विनयवान् , चारित गुण संपन्न, देशविरतिवन्त और उत्तम गुणों से सैकड़ों मनुष्यों में पूज्य होते हैं वे पुरुष 'पुण्यसार' की तरह महर्द्धिक और सब के ईश्वर (स्वामी) होते हैं। ३६ प्रश्न-हे कल्मषध्वंसिन् ! किस कम से
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