Book Title: Epigraphia Indica Vol 23
Author(s): Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India

View full book text
Previous | Next

Page 308
________________ No. 35.] SRINGI RISUI INSCRIPTION OF PRINCE MOKALA. 235 .3 वान् । शश्वद्याचकवांछिताधिकलसत्वरण प्रदानोद्यतासंग्रामाहतवैरिराजनिकरान्गौरी यसेवाप]रान् ॥२' मोयं बप्पजवंशभूषण[मणी रूपेण पुष्पायुधो हम्मी4 रो धरणीधरः [समभवहीरः सुधीरो रणे । नित्या व्याप्तचराचरा विजयिनो यस्येंदुकुंदो[व]ला कीर्तिमर्तिरि वैखरी विजयते मान्या सदा भूभुजा (जाम्) ३' चेलाख्यं पुरमग्रहोद. 5 रिगणान्भिन्नान्गुहागहकाम्जि(खित्वा तानखिलानिहत्य च बलाख्यातासिना संगरे । यो ग[ला न[रथं] बकं समवधोज्जैखरं वैरिणं यो दरस्थित. 6 पल्हणापुरमपि क्रोधाकुन्तो दग्धवान् ४ एवं सर्वमकंटकं समगममंडलं भूपतिहमौरो लल[नास्परः] सुरपदं संपात्य क(का)श्चित्समाः [1] सम्यग्व. महरं ततः स्वतन7 [यं] संस्थाप्य राज्ये निजे से क्षत्रियवंशमंडनमणिं प्रत्यर्थिकालानलं (लम्) ॥५॥ पाजावमौसाहमिप्रभावाज्जित्वा च हत्वा यवनानशेषान् (0) यः कोश जातं तुरगानसंख्य[] 8 समानयत्वा किन राजधानी(नीम) ६ टिमो चारपुरेश्वरण बलिना स्पृष्टोपि नो पाणिना राजा श्रीमद[लावदीति विलसवाना [ग]जस्वामिना । सोपि क्षेत्रमहीभुजा 9 निजभुजप्रौढप्रभावादहो भग्नो विश्रुतमंडलाक्कतिगढो जित्वा समस्तानरीन् ॥७॥ इंट्रेणासुरशंकिना प्रणम[ता सं]प्रार्थितः शंकरः संत्येते दनुजाः पदं मम बलादादातुकामा विभो । 10 एवं किं करवायथी वद पर' श्रुत्वा वचः शंभुना नौस[:] क्षेत्रमही पतिनि(नि)जपदं दैत्यातहेतोः स्वयं(यम्) । दिव्यांगनाभूषि[तवाम]भागे देत्यांति(त)के क्षेत्रधराधिनाथ । स्वर्गस्थिते कल्पितदानदक्षे(क्षो) 11 लक्षोभवद्देवतबंधाना(नाम्) [*]" येन कांचनतुलादिदानतस्तोषिता हिजवरा महीतले । येन दुर्जयसमस्तभूभुजः संहता]: सदसिधारया रणे ॥१.१ दत्वा(चा) [तंगत रंगहमनिचयास्त गढ(या) IMetre: Sardalavikridita.. . The stroke in the body of this letter is too faint on the original to be visible in the impression. • The arrangement of words in this line is obscure. Samagamat is to be connected with sura-padam and earn palya with bha-marindalarit. •Metre: Upajati. . The name of this well-known capital of India begins either with ? or Dhi in most of the inscriptions of this period. • This syllable seems to have been engraved over an orasuro. Read Hara. .Metre: Indratrajri Metro : Rathoddhata.

Loading...

Page Navigation
1 ... 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436