Book Title: Digambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 11 Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 2
________________ नो Milar मोड या छ-ine. "वीर"-नामक पाक्षिक (हरएक पंदर | (અમદાવાદની શ્રીચંદ્રસાગર દિ૦ જૈન બાગના મંત્રી મગનલાલ દેવચંદ પ્રગટ કરે છે કે આ ' मा ५ यानी ४४॥ मोटी छ.. भारत० दि. इन परिषदसे उत्तमतया प्रकट तो यासुर नामे पोताना ।२।सान हो रहा है उसके ग्राहकोंको वार्षिक मूल्य सिर्फ यासा भास 4 तो मुशाया में सामें तो १०० पृष्टका सचित्र विशेक तथा દાખલ થવાનું કાર્મ ભરી મેકલી તે પાસ થયેથી ___ असहमतसंगम" नामक ५५० पृष्ठका अन्य ડિપોઝીટ રૂ. ૨) તથા વાર્ષિક પેઈ ને ફી ૪૧) अथवा डा ॥ ६॥ २५) पै यी २५ उपहारमें मिलता है। इस लिये 'दिगम्बर जैन के ५५ मा . am विधाये याणी, 12 मारा हरएक ग्राहक वार्षिक मूल्य ॥) देकर वीरके उपवासे यार वास वा नय... ग्राहक अवश्य हो जावे क्योंकि खास अंक व ફતેપુર-માં શ્રાવણ સુદી ૧૫ ને દિને २क्षामधन पूजन ४ था संभावना पारी ग्रंथ ही २॥ केहैं। હતી તથા શ્રાવિકાશ્રમ મુંબઈથી રક્ષા (રાખડી) भासी मा १७) हानना 04161... वार्षिक पारितोषिक विरणोत्सव तथा दानवीर भारत शासनसुधार-मांच कमेटीकी राज्यभूषण रा.व. सेठ कल्याणमलनीकी वर्ष. भोरसे कई नेताओंकी गवाही ली जा रही है गांठका उत्सव गत ता. १३ अगस्तको बहुत उसमें हमारे जैन कौमके हकों की रक्षा हो इस धूमधामसे इन्दौर स्टेटके डेप्यूटी प्राईममिनिस्टर लिये जैन अगुओंकी गवाही भी लेनी चाहिये एत्मादौलाके सभापतित्वमें हुमा था। ऐसा एक पत्र 'जैनमित्र मंडल' देहलीने रिफार्म उदयपुरकी-प्रे• मो० दि० जैन पाठशा. शोधन कमेटी शिमलाको भेना है उसमें लिखा। काका कार्य प्रशंसनीय चल रहा है। अभी ब० है कि जैनों की ओर से बा० जुगमंदरलाल बेर. कन्हैयालालनीने छ मासिक परिक्षा लेकर स्टर व जन, बा० चरतरायजी बेरिस्टर, बा० अतीव संतोष प्रकट किया है। १०४ विद्यार्थी अस्तिपसादनी वकील, बा० टेकचंदनी, स्था. पढ़ते हैं । मंत्री सेठ वक्ष्मीचंद नीका परिश्रम जं दियाला तथा रावलले एम०ए बेळगा सराहनीय है। मको भी गवाही अवश्य लेनी चाहिये। __ कलकत्ता-में विमलनाथ पुराण'के फोर्मकी सागर-में लक्ष्मणदासजी, रज्जीलालजी व चोरीका केस खारीन होनाने की गतां कमें दीहुई सुखकाकनी कमरया द्वारा निर्मापित छात्रालयका खबरमें इतना विशेष है कि सिर्फ हनुमान उद्ध टन समारंभ विनयादशमीको होगा। , . प्रेमके कंपोझिटरसे ५०) का मुरलका लिया - हीरापाग-धर्मशाला मुंबाईनो जुलाईमा गया है व प. श्रीलाल नी तथा उनका कंपोझिकुले १२५१. ने ऑगस्टमा ८३ मुसाफरोए काम लीधो हतो ज्यारे ऐलक पन्नालाक दवा टर निर्दोष छूट गये हैं। • खानानो ४५९२ अने ४७१७ नवाजुना ब्र० हेमसागरजी-(करमसद)ए सिर"दर्दीओए लाभ लीधो हतो, साला (खानदेश) मां चातुर्मास को छे,Page Navigation
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