Book Title: Digambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 09 Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 7
________________ (५) दिगंबर जैन । * जैन समाचारावलि। | કરી સૂચીપત્ર બનાવ્યું. ત્રણ રાત્રે ધર્મોપદેશ આપો. ઉપદે સંભાળવાની રૂચિ ઓછી છે. અત્રે પાઠશાલાની બહુ જરૂર છે. એક બે ગ્રેજ્યુએટ છે તેમણે ધર્મ જાગૃતિ માટે પ્રયત્ન કરવો જોઈએ. કુરઅસદ-તા. ૨ જુલાઈએ કરમસદ આવ્યા. ** * यत्र शीतलनाथ स्वाभीतुं ये महि२ २ ३०५२ जेल से छूटे-सेठ चिरंजीलालजी वर्धा तो पी। भैया माध्यमाना छ. २मा भु५५ : अवे . सवा मासकी जेलयात्रा पूरी करके प्रथम छूटे २४ास २४ास ५२नुस, मसिहास, २४ थे और अब श्री० यादवराव श्रावणे भी जेल. ડદાસ, છે. અત્રેના ભાઈઓમાં ઉપદેશ સાંભળવાની " यात्रा पूरी करके छूट गये हैं । आपका वर्धाकी રૂચિ સારી છે. અત્રે વૃદ્ધ બ૦ હેમસાગરજી કાયમ २ . मन शास्त्र भा२नी समास ४२अने. जैनसमाजने अच्छा स्वागत किया व बोर्डिगमें भभूय शास्त्राना शनया घरी। मान यया ता० सभा होकर अभिनंदन पत्र दिया गया। ૪ થીએ મહાદેવના મંદિરમાં જાહેર સભા કેરી । जैन शिक्षा मंदिर-जबलपुरके वास्ते सेवा म ' ५२ स५२ गायु सत्रया' " पांच लाख रु० की पूर्ति के लिये जो डेप्यूटेशन અમો તા. ૫ મી બે ઇંદોર રવાના થયા. - निकला है वह पं० गणेशप्रसादगी वर्णी, पं० विवाहमें दान-सर सेठ हुकम चन्दनीके दीपचंद जी वर्णी आदिके साथ अमरावती आयाथा मुनीम ला० हजारीलाल जी (नीमच) के पुत्रका वहां करीब ६॥ हनार रु० का चंदा हुआ है। विवाह महूमें द्वि० ज्येष्ठ सु० ८ को हुआ था ब्र. वृद्धिचदजी-अभी गमपंथानी (मसतब इन्दौरसे सेठ साहूकार भी उपस्थित हुए रुल, नासिक) में हैं । भापका इरादा ओनररी थे व वेश्यानृत्य भातिशबानी आदि कुरीति तौरपर विद्यालय चलाना, उपदेश करना, क्षेत्रनहीं हुई थी और ६८१) का दान इस प्रकार की कोठियोंकी समाल करना आदि है । जिन्हें किया गया-रु. ३२५)चार मंदिरोंमें छत्र चंव जरूरत हो ब्रह्मचारीजीको लिखे । रादि, १०१) गौशाला महू छा०, २१) सेबा लग्नमें दान-अभी आषाढमें घेवरचंदजी समिति नीमच, ३२) अनाथालय-औषधालय गोधा अलवरके पुत्रकी शादी ब्यानामें जैनबड़नगर, ३१) उदासीनाश्रम इन्दौर, २५) ब विधसे हुई थी तब कुरीति न होकर १६०१) आश्रम जयपुर, २१) देहली अनाथालय, २०) मंदिरजी व ८८) संस्थाओंको दान किया गया। मूक प्राणियोंको रोटी व ५ जैनगजट विशेषांक) अभी तो विद्यादानमें विशेष दान करनेका खंडवा-में अष्टानिका पर्व बड़े समारोहके समय है । साथ हुआ था क्योंकि साथमें तेरहवीप विधान कीर्तनकार चाहिये-बु हानपुर (नीम ड़) भी हुआ था । नित्य शास्त्र व व्याख्यान सभा से सेठ हीराचंद नंदराम लिखते हैं कि भादों में होती थी व नृत्य गायन भी होता था । अंतिम उपदेशके लिये एक उपदेशक व कीर्तन कारकी दिन रथयात्रा भी हुई थी। हमें आवश्यकता है।Page Navigation
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