Book Title: Digambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 09
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 36
________________ 2/3R दूसरीवार छपकर तैयार होगया। श्रीमान जैनधर्मभूषण ब्रह्मचारी शीतलपमादजीकृतहर एक गृहस्थ को उपयोगी सर्वोत्तम ग्रन्थ न गृहस्थधमे / जो प्रथमवार बिक जानेपर कई वर्षों से नहीं मिलता था दूसरीवार __ सूरतमें छपकर तैयार हो गया। गृहस्थधर्म में कौन 2 विषय हैं ? इस महान ग्रन्थके 31 अध्यायों में पुरुषार्थ, आदिकी विधि भी है। सारांश कि गृहस्थाश्रम में सम्यकूचारित्रकी आवश्यकता, श्रावककी पात्रता, सुख व धर्मरूप रहने के लिये इस 'गृहस्थधर्म गर्भाधानादि सभी संस्कारका खुलासा व विधि, अन्य हरएक श्रावकके पाप्त रहना चाहिये / अनैनको श्रावककी पात्रता, श्रावक श्रेणी में प्रवे- इस एक ही प्रन्यसे लौकिक, धार्मिक, सामाशार्थ प्रारम्भिक श्रेणी, श्रावककी 11 प्रतिमा- जिक समी कार्य सब सकते हैं। पृष्ठ 312 ओंका अलग 1 वर्णन, विवाह के पश्च त् गृहस्थके मुल्य 1 // ) व पक्की जिल्द 1 // ) आवश्यक संस्कार, संस्कारित माताका उपाय, गृहस्त्री धर्मा वरण, समाधिमरण क्रिपा, जन्म मरण और चार नये ग्रंथ तैयार। अशौच का विचार, समर की कदर, जैनधर्मकी श्रीपालचरित्र-(अष्टानिका व्रत माहात्म्य) 12) सनातनता व उन्नतिका उपाय, हम क्या खाये जैन इतिहास-दूसा भग व पयें, नित्यपूजा आदि इतने विषयों का संग्रह आत्मधर्म-(ब्र.शीतल प्रसाद नीकृत दूरीकार) =) है कि इस ग्रन्थके पढ़नेसे एक जैनी जैनधर्मका मल्लीनाथपुराण- (खुरे पृष्ठ, सचित्र)-४) सच्चा श्रद्धानी बन सकता है / यज्ञोपवित, विवाह श्रीपाल नाटक (नवीन बड़े अक्षरों में) 1) मगानेका पता मैनेजर, दिगम्बर जैन पुस्तकालय-सूरत। "जन विजय" प्रिन्टिग प्रेस खपाटिया चकला,-सूरतमें मूलचंद किसनदास कापड़ियाने मुद्रित किया और "दिगम्बर जैन" आफिस, चंदावाड़ी-सूरतसे उन्होंने ही प्रकट किया।

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