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दिगंबर जैन |
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व्यारा (जि० सूरत) का अलंकारिक है इसमें कथा लुपतासे दी है ।
बहुत उपयोगी है ।
प्राचीन शास्त्रभंडार ।
हम और मई छगनलाल सरैया - सुरतने ता० ११ जू' ११ को व्य ग जाकर यहांके मंडारकी सम्हाल करके जो ग्रं लिखे उनकी सूची१ पंचाख्यान (पंचतंत्र ) गुजराती छंद टीका श्वे० पं० रतनचंद कृत सं० १६४८ में रची पन्ने २४१ ० श्लोक सहित ।
नोट- यह प्रकाश योग्य है | गुजरात छात्रों को बहुत उपयोगी ।
२ श्रावकाचार गुजराती छेद पदमसाह कृत वाग्वर देशके साकपुर में बना सं० १६१५ में श्लोक २७५० पत्त १६६ ।
नोट - इसमें विस्तार से त्रेपन क्रियाका कथन है इसको अवश्य प्रगट कराना चाहिये ।
३ पूज्यपाद कृत श्रावकाचार श्लोक १०८ तथा व्रत फल लो० ३३ प्रम्मचंद कृत पत्रे १०
मंगलाचरण श्रावकाचार श्रीमज्जिनेन्द्रस्य चंद्रव क् चन्द्रकांगिनं । हृष्टदुष्टष्टसंत पनक्षमं ॥
घनसार कृत र्ट का गुजराती पत्रे
१७- यह मी प्रकश होने योग्य है ।
५ सं० हनुमानचरित्र अजित ब्र० कृत यह गोशृंगार थे व भृगकच्छपुर में बनाया । सर्ग १२ श्लो० २००१ पत्रे १४२ यह भी प्रकाश योग्य है । सं० १६३९का लिखा ।
६ वृषभनाथचरित्र सं० सकलकीर्ति कृत पर्व २० श्लोक ४६२८ पत्रे २१६ यह भी 5. कश योग्य है । महापुराण बहुत बड़ा व
७ यही - यह प्रति सं० १७५ में वागर देशके नौतनपुर में लिखी गई थी ।
८ सुदर्शनचरित्र सं० सकलकीर्तिकृत श्लोक ९०० पत्रे ४६ यह भी प्रगट होना चाहिये । ९ धनकुमारचरित्र प्राकृत रैधूकृत ४ सर्ग पन्ने ४९ । यह सं० १७३५ में सुरतके आादि
नाथ मंदिर में लिखा गया था ।
नोट- रैधू ववि दशकाक्षणी पूजन कर्ता बड़े विद्वान हुए हैं उनके ग्रंथोंको मी प्रगट करना चाहिये ।
१० समाधितंत्र पर्वतधर्मार्थीकृत ११ यही
१२ त्रीस चौवीसी पूजा सं० शुभचन्द्रका ११ समवश्रुत पूना सं० ललितकीर्तिक १४ महाअभिषेक सं० पत्रे ३६ १९ घनंनयनाममाला
१६ आलापपद्धति
१७ पंच लक्षण पूना सं०
१८ क्षेत्रपाल पूजा सं०
१९ विषापहार सं० वृत्ति २० कल्याणमंदिर
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२२ भूपाल चौवीसी २३ श्री पार्श्वनाथ स्तोत्र सं० वृत्त २४ जनगुणसम्पत्ति व्रतोद्यापन पूना सं० २५ कल्याण मंदिरमू
२६ तत्वार्थ सूत्र सं कृर टिप्पणीसहित नट - इसमें संक्षेपसे बहुत उपयोगी टिप्पणी दी हुई है ।