Book Title: Digambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 09
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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दिगंबर जैन।
(१६ । १०५-समयसार कलश सं० पर टिप्पणी. पत्रे ११८ आदिपुराण स० केशवसेनकन स्कंध ३७ । बड़ी अच्छी टिप्पणी है। . २२ ( यह अवश्य प्रकाशके योग्य है)
१०६-षट् पाहुड़ प्राकृत सं० छाया। ११९ गोम्मटसार स० ५७ आश्रासे प०६७
१०७-वृस्वामी च० सं० सालकीर्ति सर्ग. १२० ज्ञानसूर्योदय नाटक सं० पावित ११ लि. स. १६२६ ( प्रगट योग्य ) ..__कृत (प्रगट योग्य )
१०८-यशोधर च० सं० वादिचन्दकृत ६ सर्ग १२१ ज्ञानार्णव सं० १३७ .. (प्रगट योग्य)
१२२ सूक्तिमुक्तावली १०९-पांडवपुराण सं० ५० ५४३ १२९ वाग्मट्ट टीका अपूर्ण लि० सं० १६८६ ग्राम वैरागरमें। १२४ द्रव्यसंग्रह मूल ११०-धर्मपरीक्षा सं० ममितिगति
__ वेष्टन नं० २९ वेष्टन नं० २६
१२५ पदमपुराण रविषेणाचार्य शुद्ध उत्तम १११-षट् पाहुड़ श्रुतसागर टी० स० लिखा स० १८०१ का श्लोक १६००० .
११२-सामायिकादि भक्ति मोटे अक्षरों में नोट-इस ग्रंथको अवश्य प्रकाशमें लाना लि० सं० १५६३ ( देखने योग्य ) चाहिये। ११३-उपदेशरत्नमाला सं० सालभूषण
वेष्टन नं० १०. कृत ( प्रगट योग्य)
- १२६ धर्मामृत नाम सुक्ति संग्रह माशाधर . वेष्टन नं० २७
कृत ९ अध्याय ( मूल अनगार धर्मामृत मालुम ११४-कर कंडु महारान चरित्र प्राकृत होता है) लि० स० ११३१ मुनि कनकामररचित १० परिच्छेद लि० सं० १२७ ३२० वासुत्र
न १७६३ सुर्यपुर में । नोट-धाराशिवमें कुंथकगि- १२८ गुणस्थान.चर्चा
.. . रीके पास श्री करवंडु महाराज प्रतिष्ठित श्री १२९ संखेश्वर पाचगपस्तु . पार्श्वनाथ जी की सांगोशंग मूर्ति गुफा है, उसी १३० भैरव ९द्म वती करा यंत्र मंत्र मल्लि. महाराजका यह चरित्र ऐतिहासिक मालुम होता भूषण कृत
१३१ सामायिक पाठ ८ है। इसको अवश्य प्रकाशमें लाना
वेष्टन नं. ३१ चाहिये।
. १३२ त्रिलोकदर्पण भा० खडगसेन कृत स० ११५ सिद्धांतसार सं० सालकीर्ति कृत
१७१३ में रचा प्रगट योग्य ।
१३६ मक्तामर कथा मा० ३६१ १११ उपदेशरत्नमाला
वेष्टन नं. ३२ ११७ रामपुरःण सं० सोमसेन कृत
१३४ से १३८ समवशरण पूना नाटक समवेष्टन नं० २८
- याप्तारादि।

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