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• १३९ छंदोपस्थान पिंगल भाषा अजैन ( प्रगट योग्य )
- वेष्टन नं. ३३ १४० रामपुराण मा० खुशालकृत
वेष्टन नं.३० १४१ से १४३-रामायण व आदिनाथ रास व फाग गुजराती।
वेष्टन नं० ३५ १४४-५-समाधितंत्र व यशोघरचरित्र गुजराती
। वेष्टन नं० ३६ अनेन व्याकरण काव्यादि ज्योतिष ।
वेष्टन नं. १७ ३७ से ४१-पूजापाठादिके गुटके
वेष्टन नं. ४२ १४९-गोम्मटसार कर्मकांड भाषा।
वेष्टन नं. ४३ १५०-त्रिलोकसार वर्णन कर्णाटकी लिपि (मवन बम्बईको इसकी बालबोध लिपि करानी चाहिये)
वेष्टन नं. ४१ १५१-यशोधरचरित्र सं०
शीतलप्रसाद ब्रह्मचारी।
दिगंबर जैन । . यां इस कदर धन-धान है ॥२॥ . हैं कहां ऐसे विचित्र, • पहाड़ पवित्र नदी कहां ? ये खेत ऐसे हरे भरे,
ऐमी कहांपर शान है ? ॥३॥ हैं किस जगह ये मैस गोएं,
दूध घी जिनसे मिल ? भी प्यारा प्यारा पक्षियोंका, .. ये कहांपर गान है ? ॥४॥ ये तत्ववेत्ता-श्रेष्ठ-ज्ञानी, .. .
वीर-सतवादी कहां। जिन धर्मको छोड़ा नहीं,
गर मान भी कुरवान है ॥५॥ भोलादकी या रानकी,
कुछ भी नहीं परवा जिन्हें । ईमान पर सावित रहे,
ऐसा कहां ईमान है॥६॥ वो पार माई-पाईक',
माता पिताकी भ'ज्ञ' । वो प्रेम दंपतिका कहां,
मुख दुखमें एक समान है ॥७॥ वो चांद सुरजका उजाला,
और विनलीकी चमक । ऐसी ऋतु कहां, देखडालो
___ युरुपो जापान है ॥ ८॥ खत्म करता हूँ 'प्रिये अब,
. भारजु बस है. यही । " मैं देशका प्यारा रई, __ मम देश जीवन प्राण है"९
__"प्रिय" फुलैरा
मम देश जीवन प्राण है।
.. ( गजल-सोहनी.) ये देश भारत ही हमारा,- -
. सब सुखोंकी खान है। --देखो, सबको मिला,
इसकी बदौलत मान है ॥१॥ ये पल रहे हैं देश सारे,
सिर्फ इस ही देशसे । मर जांय भूखों गर न हो,