Book Title: Dhyanashatakam Part 2
Author(s): Jinbhadragani Kshamashraman, Haribhadrasuri, Kirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan
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परिशिष्टम्-२३, ध्यानशतकगाथाऽकारादिक्रमः
३०५
गाथा
क्रम
क्रम
६२/३
३४/१
१८/३ ६३/१ २२/३
सव्वनयसमूहमयं सव्वप्पमायमूलं सव्वप्पमायरहिया सव्वाभिसंकणपरो सव्वासु वट्टमाणा साभावियं निरुवमं सामाइयाइयाई सीयाऽऽयवाइएहि य सुअ-सीलसंजमरओ सुक्कज्झाणसुभाविय सुक्काए लेस्साए सुचिरंपि होज्ज सुणिउणमणाइणिहणं सुत्ताइकयालंबो सुपसत्थं सद्धेयं
४०/१ ६१/३ ४२/३ १०४/१ ६८/३ ८७/१ ८९/१
४/३ ४५/१
४३/३ १०५/३
गाथा सुविदियजगस्सभावो सुहुमकिरियाऽनियट्टि सुहुमेसु न संमुज्झइ सोज्झावणयण-सोसे संकाइदोसरहिओ संवरकयनिच्छिदं संवर-विणिज्जराओ संसारकारणाइ तओ संसार-सागरमणोरपार हरिसिज्जइ कयपावो हेऊदाहरणासंभवे होइ असंमूढमणो होइ पुहुत्तवितक्कं होइ सुभावियचित्तो होंति कमविसुद्धाओ होंति सुहासव-संवर
८१/३ ९१/३ ९७/३ ३२/१ ५९/१ ९६/१ ९५/३ ५७/३ २७/३ ४८/१ ३२/३ ७८/३ ६५/३ ६६/१ ९३/१
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