Book Title: Dhyanashatakam Part 2
Author(s): Jinbhadragani Kshamashraman, Haribhadrasuri, Kirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan
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३१८
ध्यानशतकम्
शब्द
गाथाङ्क
शब्द
गाथाङ्क
मोह
४९ ३, ३६
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पुद्गल पुनरुक्तदोष पुरुषवेद पूर्ववित् प्रत्याख्यानाध्ययन प्रत्युपेक्षण प्रभावना प्रमाद प्रवचन प्रशम प्रश्रम प्राण बलदेव बाह्यकरण भरत भवनवासी भावमन भित्रमुहूर्त भूत भूतनिह्नववचन भूतोपघातवचन मतिज्ञान मत्वर्थ मनःपर्याय मनोयोग मरुदेवी मिथ्यात्व मिथ्यादर्शन मिथ्यादृष्टि मुखवस्त्रिका मुहूर्त मृषानुबन्धी मृषावाद मेरु मोक्ष
योग योगी रति रत्नापृथिवी राग लब्धि लव लान्तक लोक वणिक् वाग्योग वाग्योगनिग्रह वाचकमुख्य वाचना वाचिकध्यान वाणिज्य विचार विचिकित्सा वितर्क विपाक विवेकलिङ्ग विषयसंरक्षणानुबन्धी वीरासन वेदनीय वैमानिक व्यञ्जकहेतु व्यवहारनय व्युत्सर्गलिङ्ग शक्ति शिल्पकला शैलेश्य श्रावक श्रुतज्ञान श्रुतज्ञानी
रक.
१९
३, ७६ ६४, ७७
१८, २२, २३ ३१, ४५
४५
९, १२
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