Book Title: Dhyan ka Vigyan Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha Foundation View full book textPage 8
________________ १. २. ३. ४. ५. निजता की खोज स्वयं की अन्तर्यात्रा अनुक्रम ध्यान : व्यक्ति से विश्व की ओर ध्यान के जीवन - सापेक्ष परिणाम ध्यान का प्राण : साक्षी - भाव ध्यान के गहरे गुर ध्यान के जीवंत चरण ६. ७. ८. ध्यान का उदात्त रूप ९. ध्यान से शक्ति का रूपान्तरण १०. ध्यान : अन्तर्मन का आरोग्य ११. ध्यान का मंदिर : मनुष्य का हृदय १२. आत्म-बोध : शांति का सूत्रधार १३. शून्य में समग्रता की खोज १४. शून्य में शाश्वत के दर्शन १५. मुक्ति का पाठ : मृत्यु-बोध १६. ध्यान और कर्म का समन्वय १७. ध्यान और विश्व का भविष्य १८. ध्यान : विधि और विज्ञान Jain Education International For Personal & Private Use Only १ ९ १६ २१ 2 २७ ३२ ३९ ४७ ५२ ५७ ६१ ७० 3 3 3 3 ७५ ८२ ८७ ९३ ९७ १०२ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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