Book Title: Dhyan ka Vigyan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 7
________________ में ध्यान को लेकर जो विचार प्रवाहित किए हैं वे इसे विज्ञान की भांति पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं । विज्ञान में जिस तरह उदाहरण और प्रयोगों से सत्य की पुष्टि की जाती है उसी तरह संतप्रवर ने विभिन्न अध्यायों में ध्यान की गहरी व्याख्या की है। सरल वाक्यों में विषय के प्रतिपाद्य की संपुष्टि पुस्तक की भाषा को रोचक और पठनीय बनाने में सक्षम है, जो ध्यान पर प्रकाशित अन्य अनेक पुस्तकों से विशिष्टता प्रदान करती है । पुस्तक पढ़ने के बाद लगता है कि कहीं गहरे भीतर एक रोशनी का प्रस्फुटन हुआ है, जो हमें एक नए संकल्प से भर देता है । आत्म-साक्षात्कार का जो अनिर्वचनीय आनन्द साधक को प्राप्त होता है, वैसा पुस्तक का अवगाहन करके मिलता है। Jain Education International For Personal & Private Use Only गुलाब कोठारी संपादक राजस्थान पत्रिका www.jainelibrary.org

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