Book Title: Dharm aur Darshan
Author(s): Devendramuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 227
________________ २१२ धर्म और दर्शन देवसेन, ४ बसुनन्दि,७५ और गुणभद्र ने ६ आहार दान, औषधदान, शास्त्र दान और अभयदान-यों दान के चार भेद किये हैं। उपदेश माला, तथा दान प्रदीप में दान के (१) वसति दान, (२) शयनदान, (३) आसनदान, (४) भक्त दान, (५) पानी दान, (६) भैषज्य दान, (७) वस्त्र दान, (८) पात्र दान ये पाठ भेद किये हैं। आवश्यक चूरिण में दान के (१) यथा प्रवृत्तदान (२) अन्नदान, (३) पानदान, (४) वस्त्रदान, (५) औषध दान, (६) भैषज्यदान (७) पीठ दान, (८) फलकदान (६) शय्यादान, (१०) संस्तारक दान-इस प्रकार दस भेद कहे गए हैं । ७४. अभयपयाण पढमं विदियं तह होइ सत्थदाण च । तइय ओसहदाण आहारं चउत्थं च ॥ -भावसंग्रह ४८६ ७५. आहारोसह-सत्थाभयभेओ जं चउव्विहं दाणं । तं कुच्चइ दायव्वं, णिहिट्ठमुवासयज्झयणे । -वसुनन्दि श्रावकाचार २३३ ७६. आहाराभयभैषज्यशास्त्रैर्देयं चतुर्विधम् । -गुणभद्रश्रावकाचार १५३ ७७. (१) वसही, (१-३) सयणासण, (४) भत्त, (५) पाण, (६) भेसज्ज, (७) वत्थ, (८) पत्ताई। - उपदेशमाला दो घट्टो टीका, गा० २४० ५० ४२०।२ ७८. दानप्रदीप सटीक पत्र ६४।२ ७६. जो अहापवत्ताणं अण्णपाणवत्थओसहभेसज्जपीठफलगसेज्जासंथारगादीणां संविभागो सो अहासंविभागो भवति । -प्रावश्यक चूणि, पृ० ३०५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258