Book Title: Dharm aur Darshan
Author(s): Devendramuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 234
________________ धर्म का प्रवेश द्वार : दान कोल्ड स्टोरेज में ग्राम आदि रख दिये जाते हैं और मौसम बीत जाने पर निकाल लिये जाते हैं । इस प्रकार रक्षित कर रखना 'प्रिजर्व' है । किन्तु ग्राम का बीज बोते हैं, उसमें अंकुर फूटते हैं, टहनियां आती हैं, फूल खिलते हैं फल लगते हैं, यह सब संवर्धन 'ग्रो' है । तात्पर्य यह है कि दान वृद्धि का कारण है । हिरात का शेख अब्दुला अन्सार अपने शिष्यों से कहता थाशिष्यो ! प्रकाश में उड़ना कोई चमत्कार नहीं है, क्योंकि गन्दी से गंदी मक्खियाँ भी प्रकाश में उड़ सकती हैं । पुल या नाव के बिना भी नदियों को पार कर जाना कोई चमत्कार नहीं है, क्योंकि एक साधारण कुत्ता भी ऐसा कर सकता है । किन्तु दुःखी हृदयों को सहायता देना, दान देना एक ऐसा चमत्कार है, जिसे पवित्रात्मा ही किया करते हैं । जो जीवन में धर्म की आराधना व साधना करना चाहते हैं, उन्हें सर्व प्रथम दान वृत्ति अपनाना चाहिए । Jain Education International S २१६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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