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धर्म और दर्शन
देवसेन, ४ बसुनन्दि,७५ और गुणभद्र ने ६ आहार दान, औषधदान, शास्त्र दान और अभयदान-यों दान के चार भेद किये हैं।
उपदेश माला, तथा दान प्रदीप में दान के (१) वसति दान, (२) शयनदान, (३) आसनदान, (४) भक्त दान, (५) पानी दान, (६) भैषज्य दान, (७) वस्त्र दान, (८) पात्र दान ये पाठ भेद किये हैं।
आवश्यक चूरिण में दान के (१) यथा प्रवृत्तदान (२) अन्नदान, (३) पानदान, (४) वस्त्रदान, (५) औषध दान, (६) भैषज्यदान (७) पीठ दान, (८) फलकदान (६) शय्यादान, (१०) संस्तारक दान-इस प्रकार दस भेद कहे गए हैं ।
७४. अभयपयाण पढमं विदियं तह होइ सत्थदाण च । तइय ओसहदाण आहारं चउत्थं च ॥
-भावसंग्रह ४८६ ७५. आहारोसह-सत्थाभयभेओ जं चउव्विहं दाणं । तं कुच्चइ दायव्वं, णिहिट्ठमुवासयज्झयणे ।
-वसुनन्दि श्रावकाचार २३३ ७६. आहाराभयभैषज्यशास्त्रैर्देयं चतुर्विधम् ।
-गुणभद्रश्रावकाचार १५३ ७७. (१) वसही, (१-३) सयणासण, (४) भत्त, (५) पाण, (६) भेसज्ज, (७) वत्थ, (८) पत्ताई।
- उपदेशमाला दो घट्टो टीका, गा० २४० ५० ४२०।२ ७८. दानप्रदीप सटीक पत्र ६४।२ ७६. जो अहापवत्ताणं अण्णपाणवत्थओसहभेसज्जपीठफलगसेज्जासंथारगादीणां संविभागो सो अहासंविभागो भवति ।
-प्रावश्यक चूणि, पृ० ३०५
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