Book Title: Dhammapada 09
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna
View full book text
________________
मालूम किन शांत, हरियाली घाटियों से हम आए हैं! न-मालूम किस और दूसरी दुनिया के हम वासी हैं! यह जगत हमारा घर नहीं । यहां हम अजनबी हैं। यहां हम परदेशी हैं। और निरंतर एक प्यास भीतर है अपने घर लौट जाने की, हिमाच्छादित शिखरों को छूने की। जब तक परमात्मा में हम वापस न लौट जाएं तब तक यह प्यास जारी रहती है।
प्यास सभी के भीतर है — पता हो, न पता हो । होश से समझो, तो साफ हो जाएगी; होश से न समझोगे, तो धुंधली -धुंधली बनी रहेगी और भीतर-भीतर सरकती रहेगी। लेकिन यह पृथ्वी हमारा घर नहीं है। यहां हम अजनबी हैं । हमारा घर कहीं और है- समय के पार, स्थान के पार । बाहर हमारा घर नहीं है, भीतर हमारा घर है । और भीतर है शांति, और भीतर है सुख, और भीतर है समाधि । उसकी ही प्यास 1
ओशो
एस धम्मो सनंतनो
भाग 9
Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 326