Book Title: Dashvaikalik Churni
Author(s): Jindasgani Mahattar, 
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha

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Page 249
________________ GRECORREC भाषाधिकारः चूणौँ C श्रीदश चिमा णाम नोबदिदा भासिया वा, बुद्धा हि भगवंतो सच्चं सच्चमायरंति, जहा अतिथ केहगाहा पक्खी वा दिवा', तत्थ भण्णंति वैकालिक त्थि, असच्चामोसाए य जाओ सावज्जाओ आमंतणादीणीओ ताओ अणाचिन्नाओ बुद्धाणंति, उच्चेण वा सद्देण परियट्टणं रातीए, एवमादि, सावज्जं ण तं बुद्धिमता भासियव्वति, जाओ अभासणिज्जाओ ताओ भणियाओ जाओ भणियव्वाओ ताओ भण्णंति, तं च-' असच्चमोसं सच्चं च ' ॥ २८० ॥ सिलोगो, असच्चमोसं सच्चं च, एतासि अण्णतरं भासमाणो अणवज्ज ॥२४५॥ | अककसंच, सम्मं उपहिया समुपहिया, किंमए बत्तन्वमिति एवं मणसा संचितिऊणं जाहे णिस्संदिडं जायं जहा: अणवज्जमत मककसं च ताहे गिरं भासेज्जा पण्णवंति, आह–अणवज्जअकक्कसाण को पतिविसेसो, भण्णइ-वज्ज गरहितं भण्णति, ण वज्ज अणवज्ज, अथवा वज्ज कम्मं भण्णइ, जाए भासियाए कम्मस्स आगमो भवइ सा सावज्जा, तम्हा अणवज्जं भासेज्जा, (ककस) किसं कायं भासिया करेइ, कह?, तस्स लोगविरुद्धं धम्मविरुद्धं च भासिऊण पच्छा तु भावेण तप्पमाणस्स किसो कायो भवइत्ति, अओ | ककसा भण्णइ, अहवा जो भण्णइ तस्स तं फरुसवयणं अणुचिंतयंतस्स किसो कायो भवइत्ति कक्कसा, तमककसं भासिज्जत्ति । | इयाणिं असच्चासच्चामोसापडिसेहणत्थं इमं भण्णइ, तं०-'एअंच अट्ठमन्नं वा० ॥ २८१ ॥ सिलोगो, जो इयाणि अणवज्जदमकक्कसो अत्थो भणिओ तस्स पडिवक्खभूओ सावज्जो कक्कसो य तेण भणिएण भणिओ चेव, तमेयं सावज्जं अकक्कसं च अत्थं | अण्णं वा एयप्पगारंति, 'ज' मिति अविससितस्स गहणं, तुसद्दो विसेसणे, किं विसेसयति ?, जहा जं थोवमवि थुणणादि तं च सोयारस्स अप्पियं भवइ, नामइ पाडिज्जइ, जहा नामिओ मल्लो नामिओ रुक्खो, अओ ‘स भासं सचमोसंपि' स इति भिक्खुणो णिद्देसो, स भिक्खू ण केवलं जाओ पुत्वभणियाओ सावज्जमा साओ वज्जेज्जा, किन्तु जावि असच्चमोसा भासा तमवि धीरो ६ 4-04-AAAAAA ChockCHEDC RECRoy ॥२४५॥

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