Book Title: Dashvaikalik Churni
Author(s): Jindasgani Mahattar, 
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha

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Page 354
________________ श्रीदशवैकालिक रति चूला ठवणाओ गयाओ, दव्वचूला इमेण गाथापुनद्धण भण्णइ, तंजहा-'दब्वे सच्चित्तादी॥३६२॥ अद्धगाथा, (सा तिविहा) तं. | सचित्ता अचित्ता मीसिया, तत्थ सचित्ता कुक्कुडस्स चूला सा मत्थए भवइ, अचित्ता चूलामणी, सा य सिरे कीरई, मीसिया मयू निक्षेपाः चूर्णी. | रस्स भवति, एवमादि दव्यचूला भणिया । इदाणि खत्तचूला भण्णइ-'खेत्तमि लोगनिक्कुड०'॥ ३६२ ॥ गाहापच्छ , श्रतिवाक्य | खेत्तचूला लोगणिक्कुडाणि, मंदरस्स पव्वयस्स चूला कूडा य एवमादि खेत्तचूला भण्णइ, अहवा अहे लोगस्स सीमंतओ अचि तो, तिरियलोगस्स मंदरो । इयाणि भावचूला भण्णइ, सा य इमा, तंजहा-'भावे खओवसमिए'। ३६३ ।। गाथापुव्वद्धं, ॥३५॥ 1भावचूलाओ इमाओ चेव दोणि चूलाओ, कहं , जम्हा सुतं खओवसमिए भावे, एयाओ दोऽवि चूलाओ खओवसमियाओ काऊण भावचूलाओ भवंति, तत्थ पढमं रतिवक्कत्ति अज्झयणं, तस्स चत्तारि अणुयोगदारा जहा आचस्प्तए णवरं णामणि फण्ण रइवक्क, दोऽवि पया रती य वकं च, तत्थ रतीइ चउक्कनिक्खेवो, तंजहा णामरती ठवण. दव० भावरती य, नाम| ठवणाओ गयाओ, दवरती भावरती य तप्पसंगेण अरती इमाए गाहाए भण्णइ, तंजहा-(चूगी तु) 'दव्वरसगंध (दब्वे दुहा उ कम्मे०) ॥३६४॥ गाहा, दव्वरती दुविहा, तंजहा-कम्मदब्बरती णोकम्मदब्बरती य, तत्थ कम्मदव्वरती नाम रतीवयणिज्जं कम्मं बद्धं न ताव उदिज्जइ एस कम्मदब्बरती, नोकम्मदधरती-सहरसरूवगंधफासदवाणि रतीकराणि णोकम्मदव्वरती भण्णइ, दब्बरती गता। इदाणि भावरती भण्णइ, सा य उदएण भवइ, कहं ?, तमेव रतिवेयणिज्जं कम्मं जाहे उदिवं ताहे भावरती भण्णइ, एवं अरईवि चउबिहा, तंजहा-नामअरई ठवण० दध० भावअरईत्ति, नामठवणाओ तहेव, दवअरई C३५०॥ दुविधा, तंजहा-कम्मदव्यअरती णोकम्मदव्वअरती, अरईवेयणिज्ज कम्मं बद्धं न ताव उदिज्जइ एसा कम्मदव्वअरती, R-52-%ARENER AR

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