Book Title: Dashvaikalik Churni
Author(s): Jindasgani Mahattar, 
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha

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Page 353
________________ Tee चूला श्रीदश वा गच्छइत्ति वा एगट्ठा, भिक्खुगहणेण पुखभणियभिक्खुस्स गहणं कयं, अपुगागमा गती सिद्धी भण्णति, तं सो भिक्खू वैकारिक उवेइति, सावसेसकम्मो य देवलोगेसु, पुण सुकुलपच्चायाति लण पच्छा सत्तभवग्गहणम्भंतरतो सिज्मतित्ति, बेमि नाम चूणौँ । तीर्थकरीपदंशात्, न स्वाभिप्रायेण ब्रवीमीति । इदाणी णया-णायंमि गिहियवे अगिहियवमि०॥ गाहा, 'सव्वेसिपि १रतिवाक्य णयाणं बहुविह वत्तव्वयं णिसामेत्ता। तं सबनयविसुद्धं जं चरणगुणविओ साहू ॥१॥ अर्थः पूर्ववदिति | सभिक्खूअज्झयणचुण्णी सम्मत्ता । ||३४९॥ एवं ताव भिक्खुस्स संजमावत्थियस्स जइ कहंचि संजमे अरती भवेज्जा, तीए अरतीए निवारणनिमित्तं विविकचरिया| निमित्तं च इमाओ दो चूलाओ भण्णति, तत्थ चूलापदस्स ताव वक्खाणं भण्णइ, तंजहा-'दब्वे वेत्ते काले० ॥ ३६१ ।। गाहा, चूला छबिहा, तंजहा-नामचूला ठवण० दब्ब० भाव० खित्त० कालचूलात्ति, तं पुण चूलियदुगं उत्तरं तंतं नायव्यं, जहा | आयारस्स उत्तरं तंतं पंच चूलाओ, एवं दसवेयालियस्स दोण्णि चूलाओ उत्तरं तंतं भवइ, तत्थ चूलासदस्स वक्खाणं भण्णति, तंजहा-दव्वे खेत्ते काले दसवेयालियं जाहे पढियं होति ताहे उत्तरकालं पढिज्जति, जाहे दसवेयालियं सुतं ताहे चूलाओ सुणिज्जति, अतो उत्तरं तंतं भष्णइ, तंतं नाम तंतंति वा सुचोति वा गंथोत्ति वा एगट्ठा, चूलादुगं उत्तरं तंतं, सुतगहियत्थं संग हणी नायव्वा, तेसिं दसवेयालिओवइट्ठाणं सुतपदत्याण समासओ संगहितत्वमेतं चूलादुर्ग, ते चेत्र संखेवओ सुत्तत्था अन्ने य ला संगहिया, अतो एयं चूलादुगं तस्स दसवेयालियस्स संगहणी नायबा । इयाणि पत्तेयं पत्तेयं छबिहा चूला भष्णइ, तत्थ नाम - ३४९ -

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