Book Title: Darshan aur Chintan Part 1 2
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Sukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad

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Page 925
________________ - [ ५७५ ] क्लेश ३६१ मार्गणा से अन्तर २५२ की चार अवस्था ३११ वैदिक दर्शन में २५६ क्षणिकत्ववाद १६७ का विशेष स्वरूप २६३ क्षत्रियकुण्ड २७ दूसरा और तीसरा २७५, २७६ क्षत्रियकुण्ड-वासुकुण्ड ५ जैन जैनेतर दर्शन की तुलना क्षपक ३३५ २७८, २८२ क्षपकश्रेणि २७४ और योग २८८ क्षयोपशम ३१३, ३१४, ३२७ में योगावतार २९१, ३३७,३४० का स्वरूप ३१३ गुणस्थानक्रम २४५ किन कर्मों का ३१४ गुप्ति ५१२ का विशेष स्वरूप ३६७ गुर्दावली २४१, २४२ क्षायिक ३३८, ३३९ गोपालक उपोसथ १०२, १०३ क्षायिक सम्यक्त्व ३४१ गोम्मटसार २४३, २४७, २४८ क्षायोयशमिक ३३७, ३३८ के साथ कर्मग्रन्थ की तुलना २५५ २५६ खण्ड १६८, १७० | गोम्मटसार ३१८,३२१, ३२२, ३२३, खन्दक ३१ ३२८, ३२६,३३६, ३३८, ३४३ खाद्याखाद्यविवेक ६० ३७८, ३९३ खोरदेह अवस्ता ११३ गोम्भटसार जीवकाण्ड ३०४, ३०५, गंगेश ३८८, ४२४, ४५९, ४६४ गन्धहस्ति भाष्य ४८० गोविन्दाचार्य ३४७ गर्ग ऋषि २४०, २४३ गोशालक ४७, १०४, १०५, ११२, गर्भज मनुष्य की संख्या ३४१ . संमत अभिजातियाँ ११२ गर्भ संक्रमण ३८ गौतम ५, ६, ३२, ८६, ६६ १०४ गर्भापहरण ३८ के साथ संवाद गांगेय ८ . गौतमधर्म सूत्र २० गांधींजी ७७, ११२, ५०८, ५१५, गौतम सूत्र २१२ १५७, ५१९, ५४३ की अहिंसा विषयक सूझ ५११ ग्रन्थिभेद २६५, २८१ जैन धर्म को देन ५४१ ग्लेजनप् २०६ गिरिनदीपाषाणन्याय २६८ घातिकर्म २७३ गीता १२१, २३०, २३५, ४५९ | चक्षुर्दशन के साथ योग ३२८ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति ४८६ | चतुयूँह ४९८ गुणस्थान का स्वरूप २४८ | चतुःसत्य ४६८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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