Book Title: Darshan aur Chintan Part 1 2
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Sukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad

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Page 934
________________ [ ५८४ ) पोग्गली ६ प्रत्यभिज्ञान ३७१ पौराणिक २२५, ३७० प्रत्यवस्थान ४०७, ४०८ पौरुषवाद १६९ प्रत्याख्यान १८० पौरुषवादी १६४ दो भेद १८० पौषध १००, १०१, १०३, १०५ की शुद्धियाँ १८. प्रत्येकयान ८६ व्रत का इतिहास १०१ प्रधान २०९ बौद्ध ग्रन्थ की साक्षी १०१, १०३ प्रधानपरिणामवादी ३५६ की उत्पत्ति का मूल १०५ प्रधानवादी २०६, २११ प्रकरणरत्नाकर २५७ प्रभाकर ३६८ प्रकाशनसूची ४९ प्रभाचन्द्र ३६६, ३८७, ४७०, ४७६ ई. स. १९४९ के ४११ समय की चर्चा ४७० प्रकाशात्मयति ३६५ प्रमाण ३५२, ३७०, ३७१, ३८५, प्रकृति १६१, २२५, २६० ३८६, ४६१, ४६२, ४६७, ४७९ निवृत्त, अनिवृत्त अधिकारा २६० शक्ति की मर्यादा ३५२ प्रज्ञाकर ३६७ विभाग में दार्शनिकों के मतभेद प्रज्ञापना ३०१,३०६,३२२, ३२४, ४८४; टीका ४२४ का स्वरूप ३७२ प्रज्ञामाहात्म्य २८४ मतिश्रुत में उमास्वाति कृत प्रतिक्रमण १६, १७८, १७६, १४४, संग्रह ३८५ १८५, १८८ अन्यदीय संग्रह ३८५ के पर्याय १७८ पूज्यपादकृत संग्रह ३८५ के दो भेद १७६ प्रमाणनयतत्त्वालोक ४६१ किसका ? १७९ की रूदि १८४ | प्रमाणपरीक्षा ३६७, ३८९, ४२४ प्रमाणभेद ३८२ के अधिकारी और रीति १८५ वैशेषिकों में ३८२ पर आक्षेप समाधान १८८ | प्रमाणमीमांसा १७२, २०५, ३४६, प्रतिमानाटक ४८६ प्रतीत्यसमुत्पादवाद ३५५, ३५७ ३६१, ३६२, ३६७,३६८, ४२१, प्रत्यक्ष ३७०, ३८३, ४२१, ४२२ ४२४, ४२७, ४८१, ५०० का वास्तविकत्व ३७० का परिचय ३४९ सांव्यवहारिक ३७० बाह्यस्वरूप ३६१ दार्शनिकों का अकमत्य ४२१ जैन तर्क साहित्य में स्थान ३६२ न्यायदर्शन की प्रक्रिया ४२१ की रचना की पूर्व भूमिका ३६७, प्रक्रिया की तुलना ४२२ *55" MARRIERESILAMPA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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