Book Title: Darshan aur Chintan Part 1 2
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Sukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 941
________________ WW " m . m M. .. [ ५६१ ] की अनेकान्त दृष्टि १५६ । लोकविद्या रामायण ४. __ जैन जैनेतर मतभेद १२६ रायपसेणइय लोमाहार ३१६ राहुलजी लोकाशाह ७१ रूप वक्रगति ३१८,३१६, ३४१ रेवती ३२ ___ का काल ३१०, ३१६ रोहिणी ४० में अनाहारकत्व ३१८ वचन लंकावतार ६४, ८१,८२ द्रव्यवचन ३११ लघीयस्त्रय ३८४, ३८५, ४६० योग ३०६ लघुपाठ १६१ लब्धि वट्टकेर १५, २०१,२०२ लब्धिपर्याप्त वडगच्छ २४३ लब्धिसार ३२६ वडगलै ८५ लब्ध्यपर्याप्त वप्प ५ ललितविस्तर ३२५ वर्ण १११, ११२ मुनिचन्द्र कृत पञ्जिका ३२५ वल्कली ५३६ लासेन ५४ वल्लभ १५६ लिंगशरीर १२६ वल्लभाचार्य ३५६ कार्मण शरीर की तुलना १२६ वसन्त २३३ लेश्या १११-११३,२९७-२६६,३४३ वसुदेव ४० के भेद २९७ वसुबन्धु ८७, १५५ के विषय में मतभेद, २६७ वस्तुपाल २४३, ५४७ छः पुरुषों का दृष्टान्त २६७ वाक्यपदीय ४२०, ४८५ दिगम्बर मत २९७ वाक्यार्थ ४०८ मंखली गोशालकका मत २६१ वाक्यार्थज्ञान ४०६ चतुर्विध ४०६ महाभारत २६६ वाचना ८७ पातञ्जल योगदर्शन २९९ वाचस्पति ३६८,३७७, ३६५, ३६६ गोशालक संमत ११२ वाणिज्य ग्राम (बनिया) ५ पूरण कस्सप ११२ निर्ग्रन्थ परंपरा ११२ वात्स्यायन १५३, ३६८ बौद्ध परंपरा ११३ वादकथा १५३ लोकप्रकाश २६७, २६८, २७१, | वादमहार्णव ३६६ २६८, ३०१-३०५,३११, ३१६, वादिदेव ३६६, ६८७, ४२०, ३२० ४२३, ४७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 939 940 941 942 943 944 945 946 947 948 949 950