Book Title: Darshan aur Chintan Part 1 2
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Sukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad
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शाक्त
६६
शाक्य पुत्र (बुद्ध)
द्वारा पार्श्व परम्पराका विकास १७ शान्तरक्षित १५०, १५५, ४३५, ४७८
शान्तिदेव ८१, ८२ शान्तिवादी ५०८ शान्तिसूरी ६७, ३८७
शान्त्याचार्य ३६६
शाबरभाष्य ३८७ शाब्दबोध ४२०
शालिभद्र ३७
शालिवाहन ४७०
शास्त्र
२३२,४५३
का अर्थ ४५३ शास्त्रवार्तासमुच्चय ३२४, ३२४
शास्त्रीय भाषाओं
का अध्ययन
शिक्षासमुच्चय
में मांस की चर्चा ८१
४८३
शिवगीता
२५१
"शिवराम म. प्रांजपे ४८६
"शुक्लध्यान शुद्धद्रव्यनया देश शुद्धाद्वैत १५६, ५०७
२७५, ४३२
४४१
में अनेकान्त दृष्टि १५६
शुबिंग शुभचन्द्र ३७६
शूद्र
४५
शून्यवाद ३५३
शून्यवादी ३५०, ३५१, ३५१ शैलेशी ४३६
शैव श्रद्धान ३८२ -श्रद्धानुसारी २९४
४८८, ४८६
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५०, ६९
[ ५६४ ]
श्रमण ११-१२१, २०६ श्रमण भगवान् महावीर ५, ६ श्रमणसंप्रदाय ५०
सांख्य, जैन, बौद्ध, श्राजीवक ५० परिचय ५१
श्रामणिक साहित्य की प्राचीनता १११
श्रावकयान ८६
श्रावस्ती ५
श्रीधर ३६८, ३८३
श्रीहर्ष ४६४
श्रुत १७, ३७१, ४००, ४०१, ४२० लौकिक लोकोत्तर ३७१
मति और श्रुत की भेदरेखा ४०० अक्षर अक्षर ४०१ लौकिक लोकोत्तर ४०१
जैन जैनेतर तुलना ४२० एकेन्द्रिय में ३०८ भावश्रुत ३०६ श्रुतनिश्रित - अश्रुतनिश्रित ४०४, केवल श्वे० में ४०५ उमास्वाती में नहीं ४०५
सर्वप्रथम नन्दी में ४०५
४११
१३०
श्रुतमय श्रुतविद्या
श्रुतावर्णवाद ६१, ८७
४३६
श्रुति स्मृति
की जैनानुकूल व्याख्या ४३६
श्रेणिक ३१
श्रेणी २७३, २७४
४०५
उपशम, क्षपक २७४ श्लोकवार्तिक १२०, ४७३, ५०१ श्वेताम्बर - दिगम्बर १५-१६, ३२, ६२,
८७, १०४, १५६, २००, २०१, २०५, २४७, २५६, ३०२, ३,११,
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